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रांची: झारखंड में हाईकोर्ट ने राज्य में चल रही हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया का विज्ञापन रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की बेंच ने हरी शर्मा और अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद गुरुवार को यह आदेश सुनाया। याचिका में कहा गया था कि हाईस्कूल में शिक्षक नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में राजनीति विज्ञान और इतिहास विषय में स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को ही आवेदन करने का प्रावधान किया गया था जबकि नागरिक शास्त्र विषय के लिए भी रिक्तियां दिखाई गई थीं। अदालत ने इसको सही नहीं माना और पूरा विज्ञापन ही रद्द करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में विज्ञापन के इस प्रावधान को गलत और भेदभावपूर्ण करार दिया है। अदालत ने राज्य कर्मचारी चयन आयोग को 2015 की नियमावली और हाईकोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया। विदित हो कि हाईस्कूलों में करीब 17,900 शिक्षकों की बहाली के लिए विज्ञापन निकाला गया था। अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि पूर्व में आवेदन करने वाले छात्रों को दुबारा आवेदन नहीं देना होगा, नये विज्ञापन में उम्र सीमा की गणना पुराने के अनुसार ही की जाएगी ताकि कोई भी अभ्यर्थी आवेदन देने से वंचित न रह जाए।

रांची: ब्रिटेन झारखंड के साथ औद्योगिक साझेदारी करेगा। यह साझेदारी ब्रिटिश सरकार और झारखंड सरकार के बीच होगी। ब्रिटिश काउंसिल के साथ झारखंड की साझेदारी सामाजिक संस्थाओं की सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में होगी। इसके अलावा ब्रिटिश कंपनियों की झारखंड की कंपनियों के साथ कारोबारी रिश्ते के रूप में भी होगी। उक्त बातें तीन दिवसीय रांची दौरे पर आए ब्रिटिश उच्चायोग के उप उच्चायुक्त ब्रूस बकनेल ने कहीं। बकनेल रांची के एक होटल में बुधवार को कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज की झारखंड स्टेट काउंसिल के पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूनाइटेड किंग्डम झारखंड को ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी, महिला सशक्तीकरण और महिला उद्यमिता के क्षेत्र में भी सहयोग कर सकता है। इसके अलावा ब्रिटेन झारखंड के साथ नॉलेज शेयरिंग समेत दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग का इच्छुक है। बकनेल ने झारखंड के उद्यमियों के साथ चर्चा करते हुए कहा कि समावेशी विकास प्रक्रिया, कारोबारी विकास की संभावनाओं, विकास की रणनीति, कौशल विकास और स्मार्ट सिटी विकास जैसे क्षेत्रों में यूके दुनिया के कई देशों से आगे है। झारखंड सरकार और यहां के उद्यमी भी उन्नत तकनीकों का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड में पूर्वी भारत के राज्यों में काफी आगे बढ़ने की संभावना है। हाल ही में संपन्न मोमेंटम झारखंड भविष्य की सफलता का प्रतीक है।

रांची: झारखंड सरकार की लापरवाही से राज्य में 10 लाख से अधिक लोगों का आधार डाटा सार्वजनिक हो गया है। राज्य के सामाजिक सुरक्षा विभाग की वेबसाइट की लापरवाही का बड़ा मामला समाने आया है। झारखंड में कुल 16 लाख पेंशनर हैं, इनमें से 14 लाख लोगों ने अपने बैंक खाते को आधार से जोड़ दिया है। इन सभी लोगों की आधार की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक हो गई है। इस वेबसाइट पर वृद्धावस्था पेंशन पाने वाले लोगों का आधार नंबर के साथ, नाम पता और बैंक खाते की जानकारी भी सार्वजनिक हो गई है। इन लोगों का निजी डाटा किसी को भी मिल सकता है जो इस वेबसाइट पर जाकर देखने की कोशिश करेंगे। यह गड़बड़ी उस समय सामने आई है जब सरकार कई तरह के सरकारी लाभ पाने के लिए आधार को अनिवार्य करने की बात कर रही है। जब संवाददाता ने वेबसाइट पर जाकर देखा तो पाया कि यहां पेंशनरों के बैंक खाते के बारे में और आधार नंबर को आसानी से देखा जा सकता है। जबकि आधार एक्ट के तहत किसी का भी आधार नंबर प्रकाशित करना गलत है। हाल ही में आधार सेवा प्रदान करने वाले वेबसाइट को यूआईडीएआई ने दस साल के लिए काली सूची में डाल दिया था जिसने क्रिकेटर एमएस धौनी का आधार नंबर सार्वजनिक कर दिया था। हाल में यूआईडीएआई ने ऐसी कई वेबसाइटों को भी प्रतिबंधित किया है जो आधार सेवाएं प्रदान करने का दावा करते थे।

देवघर: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के मुखिया मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण पर कहा कि कोर्ट में इसका इलाज नहीं है। भागवत मंगलवार को झारखंड के देवघर में आयोजित में हिन्दू समागम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा है कि देशवासी रामजन्म स्थान में राम मंदिर निर्माण चाहते हैं। फिर इसके लिए लड़ाई क्यों। कोई मत, पंथ विरोध में खड़ा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इस्लाम धर्मावलंबी मंदिर का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि राजनीतिक कट्टरपन इस पर रोक लगाता है। भागवत का बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट अयोध्या के राम मंदिर विवाद पर आम सहमति बनाने की पैरवी कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने पिछले महीने कहा था, ‘’इस तरह के संवेदनशील मसलों का हल आपसी सहमति से निकाला जाना बेहतर है। दोनों पक्षों को आपस में हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर ऐसा हो सके तो कोर्ट मध्यस्थता कर सकता है। अगर दोनों पक्ष बातचीत के लिए तैयार हों तो किसी जज को मध्यस्थता का ज़िम्मा दे सकते हैं. मैं खुद भी इस काम के लिए तैयार हूं।’’ उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में सभी पंथ स्वीकार्य हैं। यहां के लोग सभी को साथ लेकर चलते हैं। कुम्हराबांधी मैदान में धर्म, संस्कृति रक्षा समिति की ओर से आयोजित हिन्दू समागम में बतौर मुख्य वक्ता संघ प्रमुख ने कहा कि देशभर में हिन्दू जन-जागरण अभियान चल रहा है।

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