चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव ने जल्लीकट्टू पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इस तरह तीन साल से जारी प्रतिबंध के बाद एक बार फिर तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की वापसी होने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक रविवार को मदुरै में जल्लीकट्टू आयोजित हो सकता है। सरकार भी पोलच्ची में जल्लीकट्टू का आयोजन करने के बारे में सोच रही है। साथ ही तमिलनाडु सरकार अब पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा पर बैन लगाने के लिए कानूनी रास्ते तलाश रही है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि खेल से बैन हटाया जाए और पेटा पर लगाया जाए। प्रधानमंत्री ने एक और ट्वीट में लिखा है कि केंद्र सरकार, तमिनलाडु के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और हम यह हमेशा सुनिश्चित करेंगे कि यह राज्य प्रगति के नए आयाम छूए। गौरतलब है कि मंगलवार से चेन्नई के मरीना बीच पर जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर हजारों प्रदर्शनकारियों ने धरना दे रखा है। वहीं तमिलनाडु का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे महाराष्ट्र के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव, जल्लीकट्टू के पक्ष में अध्यादेश लाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को केंद्र से मंजूरी मिलने की पृष्ठभूमि में आज चेन्नई पहुंचें। शुक्रवार को केंद्र सरकार के निवेदन ने सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू को लेकर अपने फैसले को कम से कम एक हफ्ते के लिए टाल दिया था। जल्लीकट्टू के पक्ष में तमिल जगत के कई बड़े कलाकारों ने भी समर्थन दिखाया है। संगीतकार ए आर रहमान ने शुक्रवार को उपवास रखा।
रजनीकांत और कमल हासन पहले ही इस प्रतिबंध पर विरोध जता चुके हैं। आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और सद्गुरू जैसे नाम भी इस आंदोलन में आगे आए हैं। देश और दुनिया भर में फैले तमिल समुदाय के लोग इस विरोद में हिस्सा ले रहे हैं। वह जल्लीकट्टू को तमिल संस्कृति का हिस्सा बता रहे हैं और इस आरोप को दरकिनार कर रहे हैं जिसके मुताबिक इस खेल में सांडों के साथ क्रूरता बरती जाती है। पशु अधिकारों से जुड़ी संस्था पेटा पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने में पेटा का अहम रोल देखा जा रहा है। इस संस्था का आरोप है कि इस खेल के लिए सांडों को नशीले पदार्थ दिए जाते हैं और कभी कभी उनके चेहरे पर मिर्च भी डाली जाती है ताकि वह मैदान पर आक्रमक हो सकें। पेटा ने साफ किया है कि जल्लीकट्टू पर आने वाले अध्यादेश को वह कानूनी चुनौती देंगे। पोंगल के वक्त खेले जाने वाले इस खेल को पशु अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में बैन लगा दिया था। बाद में तमिलनाडु सरकार ने याचिका दायर की थी जिसमें फैसले की समीक्षा की बात कही गई थी लेकिन कोर्ट ने उसे भी अस्वीकार कर दिया था। यही नहीं पिछले साल केंद्र सरकार ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी की थी जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट में जल्लीकट्टू मामले पर सुनवाई पूरी हो चकी है और फैसला जल्दी ही सुनाया जाएगा।