नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शुक्रवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आगामी चुनाव का मुकाबला सीधे कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। आम आदमी पार्टी के साथ कोई मुकाबला नहीं है, जैसा कि केजरीवाल दावा कर रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में आरोप लगाया था कि दिल्ली में पूर्वांचल के वोटरों के नाम वोटर लिस्ट में जानबूझकर जोड़े जा रहे हैं, ताकि आम आदमी पार्टी को हराया जा सके और यह एक साजिश का हिस्सा है। इस पर संदीप दीक्षित ने कहा कि अगर किसी पार्टी को लगता है कि वोटर लिस्ट में किसी के नाम गलत जोड़े गए हैं या काटे गए हैं, तो उन्हें चुनाव आयोग के पास जाकर इसकी जांच करनी चाहिए। किसी को भी यह शिकायत है तो डिटेल लेकर चुनाव आयोग जाएं, ताकि सही या गलत का पता चल सके। कुछ स्थानों पर कुछ नाम जोड़े गए हैं। हालांकि, यह बात किसी विशेष समुदाय या जाति से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह व्यक्ति संबंधित इलाके का निवासी है या नहीं।
उन्होंने कहा, चुनाव आयोग को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और इसकी जांच करनी चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने केजरीवाल के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली चुनाव का मुकाबला केवल बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच है, कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं है। संदीप दीक्षित ने उनके इस बयान पर कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। दिल्ली का मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है, आम आदमी पार्टी कहीं भी नहीं है। केजरीवाल को यह कहना पड़ रहा है क्योंकि उनकी पार्टी का अधिकांश वोट कांग्रेस से जा रहा है। उनके वोटर वापस कांग्रेस में आ रहे हैं और यह बात केजरीवाल को चिंता में डाल रही है।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के लिए स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि कांग्रेस का वोटर, जो पहले उनकी पार्टी की तरफ गया था, अब वापस कांग्रेस में लौट रहा है। जब तक केजरीवाल यह नहीं कहेंगे कि कांग्रेस चुनाव में नहीं है, उनके पास वोटर कैसे आएंगे। जो लोग पहले कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी में गए थे, अब वही लोग वापस कांग्रेस की तरफ लौट रहे हैं। इस कारण केजरीवाल को यह कहना पड़ रहा है कि उनका मुकाबला बीजेपी से है, लेकिन वास्तविकता यह है कि दिल्ली में असली मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है।
संदीप दीक्षित ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी टिप्पणी की और कहा कि यदि किसी पार्टी को लगता है कि वोटर लिस्ट में किसी भी तरह की धांधली हो रही है, तो चुनाव आयोग को इसकी गंभीरता से जांच करनी चाहिए। अगर कोई पार्टी चुनाव आयोग के पास 4,000 या 40,000 नामों की लिस्ट लेकर जाती है, तो चुनाव आयोग को तुरंत इन नामों की जांच करनी चाहिए, ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।