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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट समेत अन्य हाईकोर्टों में मामलों को सूचीबद्ध करने के मामलों में हो रही घटनाओं पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में लास्टिंग व्यवस्था चरमरा गई है, पता नहीं क्या होगा।

गैंगस्टर-नेता रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि हम टिप्पणी नहीं करना चाहते। कुछ हाईकोर्ट में हमें नहीं पता कि क्या होगा और यह एक ऐसा हाईकोर्ट है जिसके बारे में वास्तव में चिंता होनी चाहिए। इस पर अब्बास के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं भी टिप्पणी नहीं करना चाहता। यह बहुत ही चिंताजनक है।

हाईकोर्ट में मामलों की लिस्टिंग से जुड़ी समस्याओं का जिक्र करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दुर्भाग्य से फाइलिंग व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, लिस्टिंग चरमरा गई है। कोई नहीं जानता कौन सा मामला सूचीबद्ध होगा। मैं पिछले शनिवार को वहां था और संबंधित न्यायाधीशों तथा रजिस्ट्रार के साथ लंबी बातचीत की थी। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई मौकों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबे समय से लंबित आपराधिक अपीलों पर चिंता जता चुका है।

सुनवाई कर रही पीठ के बारे में पूछा

अंसारी के वकील सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद मामले की सुनवाई नहीं हो रही है। हम इन मामलों में क्या करें? आदेश के बावजूद उस अदालत में क्या हो रहा है। अगर हाईकोर्ट ऐसा करेगा तो नागरिक कहां जाएंगे। इस पर पीठ ने मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की पीठ के बारे में पूछा। जब उन्हें बताया गया तो उन्होंने पाया कि जिस न्यायाधीश के समक्ष मामला सूचीबद्ध है, वह देश के सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीशों में से एक हैं।

अब्बास अंसारी को सुप्रीम राहत

सुप्रीम कोर्ट से अब्बास अंसारी को राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने लखनऊ के जियामऊ में विवादित जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए मकान बनाने पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट को अब्बास की याचिका पर जल्द सुनवाई करने के लिए कहा।

इस जमीन पर अब्बास अपने स्वामित्व का दावा कर रहे हैं। वर्ष 2020 में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मुख्तार और अब्बास अंसारी समेत उसके बेटों के बंगले को बुलडोजर से ढहा दिया था। यूपी सरकार पीएम आवास योजना के तहत विवादित जमीन पर फ्लैट बनाने की योजना बना रही है।

अंसारी ने पिछले साल भी अपनी पारिवारिक संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दलील दी थी कि अन्य प्रभावितों को हाईकोर्ट ने अंतरित संरक्षण प्रदान किया है लेकिन उन्हें इससे वंचित कर दिया गया। उनकी शिकायत थी कि हाईकोर्ट ने उन्हें डालीबाग उपविभागीय मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ संरक्षण नहीं दिया।

इसलिए राज्य ने जमीन पर कब्जा कर लिया और पीएम आवास योजना के तहत कुछ आवासीय इकाइयों का निर्माण शुरू कर दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता की ओर से दायर अंतरिम स्थगन के आवेदन पर यथाशीघ्र और किसी भी स्थिति में 4 नवंबर 2024 तक सुनवाई करे।

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