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चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के अपने इरादे जाहिर किए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी का नेतृत्व करने का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष के हाथ में है। शुक्रवार को वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि उन्होंने शुरुआत में साल 2017 के चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बताया था लेकिन इसके बाद अपने पार्टी साथियों द्वारा प्रेरित करने पर साल 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया और अब इसमें कोई बदलाव नहीं है।

'पीके बोले- पंजाब आकर मदद करने में बहुत खुशी होगी'

साल 2022 में कांग्रेस का चुनाव प्रचार तैयार करने के लिए प्रशांत किशोर को शामिल करने के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि किशोर ने उनकी अपील के प्रति सकारात्मक जवाब दिया था। राज्य में कांग्रेस की मुहिम संभालने के बारे में प्रशांत किशोर द्वारा इंकार करने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कैप्टन ने कहा, ‘किशोर ने कहा है कि पंजाब आकर मदद करने में बहुत खुशी होगी।’

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार (16 मई) शाम को कहा कि राज्य में लागू कोविड-19 लॉकडाउन 31 मई तक जारी रहेगा, लेकिन सरकार कर्फ्यू वाली पाबंदियां हटा लेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ''18 मई से राज्य मे कर्फ्यू नहीं होगा, लेकिन लॉकडाउन 31 मई तक जारी रहेगा।" उन्होंने संकेत दिया कि 18 मई से कुछ हद तक सार्वजनिक परिवहन भी चलने लगेंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 18 मई से और ढील की घोषणा करेगी, लेकिन साथ ही उन्होंने राज्य में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लोगों की मदद मांगी। सिंह ने कहा, ''मैं 18 मई से ज्यादातर दुकानों और छोटे उद्योगों को खोलने की अनुमति दूंगा।" मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दौरान शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।

चंडीगढ़ (जनादेश ब्यूरो): पंजाब कैबिनेट की बैठक में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। महज 15 मिनट चली इस बैठक में कैबिनेट ने मुख्य सचिव करण अवतार सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के सामने उन्हें पद से हटाने की मांग की। मंत्रियों ने यहां तक कह दिया कि जब तक मुख्य सचिव को नहीं हटाया जाता वे कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होंगे। मुख्य सचिव करन अवतार सिंह और पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों के बीच छिड़ा घमासान शांत नहीं हो रहा है।

सोमवार को पंजाब कैबिनेट की बैठक के दौरान मंत्रियों ने इस मामले का हल निकालने का सारा जिम्मा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर छोड़ दिया लेकिन यह पूरा मामला इस हद तक तूल पकड़ चुका है कि बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने यहां तक कह दिया कि अगर करन अवतार सिंह बैठक में आएंगे तो वे उस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। कुछ ऐसे ही तेवर कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भी रहे। इस बीच, सोमवार की कैबिनेट बैठक में करन अवतार सिंह के स्थान पर सतीश चंद्रा ने कैबिनेट सचिव की भूमिका निभाई।

चंडीगढ़: घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोत्तरी को देखते हुए पंजाब कांग्रेस के दो नेताओं की पत्नियों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से अनुरोध किया है कि वह शराब की 'होम डिलीवरी कराने के अपने फैसले पर पुन:विचार करें। इनमें से एक कैबिनेट मंत्री की पत्नी हैं। राज्य सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन 3.0 के दौरान बृहस्पतिवार से शराब की होम डिलीवरी की अनुमति दे दी है। पंजाब आबकारी कानून, 1914 और आबकारी नियमों में होम डिलीवरी का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन यह फैसला कोविड-19 महामारी के दौरान सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।

अकाल तख्त के जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने भी बृहस्पतिवार को कहा कि शराब की दुकानें खुलने से घरेलू हिंसा के मामले बढ़ेंगे। इस फैसले पर शंका जताते हुए लुधियाना से पार्षद और पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू की पत्नी ममता आशू ने शनिवार को कहा कि मादक पदार्थों के नशे के खिलाफ लड़ाई, कांग्रेस का चुनावी वादा था इसलिए इस फैसले पर पुन:विचार करने की जरुरत है। ममता ने आज ट्वीट किया है, इसकी वजह से लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़ सकते हैं। यहां तक कि ठेकेदार भी उन्हें खोलना नहीं चाहते हैं।

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