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पटना: बिहार के अररिया जिले में लॉकडाउन के दौरान एक कृषि अधिकारी ने अपने रसूख का गलत इस्तेमाल करते हुए एक सिपाही से उठक-बैठक करवाई। सिपाही ने अधिकारी से लॉकडाउन का पास मांगा और नहीं होने पर उसे जुर्माना भरने को कहा। इस पर अधिकारी ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों को बुलाकर सिपाही से उठक-बैठक करवाई। घटना का वीडियो वायरल होने पर लोगों ने कार्रवाई की मांग की है। 

दरअसल, कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। इसलिए जब यह अधिकारी लॉकडाउन के दौरान बाहर निकला तो अररिया में एक सिपाही ने उसकी गाड़ी रोककर उससे लॉकडाउन का पास मांगा। जब अधिकारी ने पास नहीं दिखाया तो सिपाही ने उस पर 500 रुपये का जुर्माना लगा दिया। इससे अफसर बिफर गया और स्थानीय सभी पुलिस अधिकारियों को तलब कर दिया। अधिकारी ने सिपाही से उठक-बैठक करवाई और उससे पैर छूकर माफी भी मंगवाई। इस दौरान वहां मौजूद एक व्यक्ति ने घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। 

बिहार शरीफ: बिहार के नालंदा जिले की एक अदालत ने चोरी के मामले में गिरफ्तार 16 वर्षीय किशोर से वजह जानने के बाद न सिर्फ उसे आरोपमुक्त किया बल्कि पुलिस को निर्देश दिया कि वह किशोर को राशन और कपड़े भी उपलब्ध कराए। पुलिस ने किशोर को चोरी के आरोप में किशोर न्याय बोर्ड के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा के समक्ष पेश किया था, वहां बच्चे से बात करने पर उन्हें पता चला कि उसके घर में मानसिक रूप से कमजोर विधवा मां और छोटा भाई है जिन्हें लॉकडाउन के कारण कई दिन से भोजन नहीं मिला है, इसलिए उसने चोरी की।

मिश्रा ने जब बच्चे से सुना कि उसने अपनी मां और भाई को भूख से बचाने के लिए चोरी की, तो वह भावुक हो गए और उसे चोरी के आरोप से मुक्त करते हुए प्रशासन को कहा कि वह तुरंत उसे राशन और कपड़े उपलब्ध कराए। दंडाधिकारी मिश्रा ने 17 अप्रैल को अधिकारियों को लड़के की मजबूरी को समझते हुए उसे आरोप मुक्त करते हुए उसके परिवार को सरकारी योजनाओं के तहत आवास, राशन आदि की हर संभव सहायता और सहायता प्रदान करने तथा पुलिस को चार महीने बाद किशोर की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

पटना: राजस्थान के कोटा में मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्रों के फंसे होने को लेकर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं। ताजा मामले में उन्होंने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए एक चिठ्ठी की कॉपी जारी करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग किया है। इसमें उन्होंने सवाल उठाया है कि जब सरकार ने बिहार के बच्चों को कोटा से लाने से मना कर दिया है तो विधायक के बेटे को कोटा से लाने की विशेष अनुमति क्यों दी गई है।

ट्वीट में पीके ने लिखा है कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को नीतीश कुमार ने यह कहकर खारिज कर दिया था ऐसा करना लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ होगा लेकिन अब उन्ही की सरकार ने भाजपा के एक एमएलए को कोटा से अपने बेटे को लाने की विशेष अनुमति दी है। नीतीश जी अब आपकी मार्यादा क्या कहती है। इससे पहले बिहार विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी नीतीश सरकार पर बच्चों को वापस बुलाने को लेकर निशाना साध चुके हैं।

पटना: बिहार में अप्रवासी मजदूरों का मुद्दा अब धीरे-धीरे बड़ी राजनीतिक बहस की ओर मुड़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष बसों की व्यवस्था कर राजस्थान के कोटा में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे राज्य के छात्रों को लाने की प्रबंध किया है। इस पर राज्य में विपक्ष की नेता तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।

उन्होंने ट्वीटर पर कहा, 'उप्र के मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है लेकिन बिहार का क्या करे जहां हज़ारों छात्र कोटा के ज़िलाधिकारी से विशेष अनुमति लेकर आए लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सीमा पर रोक प्रदेश में नहीं घुसने दिया? विद्यार्थी हो या अप्रवासी मज़दूर बिहार सरकार ने संकट में सभी को त्याग दिया है।' तेजस्वी यादव सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं रहे उन्होंने अब सीएम नीतीश को चिट्ठी भी लिखी है। 'बिहार सरकार आख़िरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मज़दूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुख़ी भरा व्यवहार क्यों है?

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