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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के वैसे लोगों को सात दिनों के भीतर लाने को कहा है, जो आना चाहते हैं। इस बावत पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसी व्यवस्था करें कि सात दिनों के अंदर अन्य राज्यों से आने वाले बिहार के इच्छुक लोगों को वापस लाया जा सके। उन्होंने इसके लिए रेलवे तथा अन्य राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करने और सभी आवश्यक तैयारी सुनिश्चित कर लेने का आदेश भी दिया है। मुख्यमंत्री ने पटना तथा बिहार के अन्य शहरों में फंसे लोगों को वापस भेजने के लिए भी समुचित व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया है। उन्होने कहा है कि गाइडलाइंस के अनुरूप एसओपी में प्रावधान करते हुए इससे सभी को अवगत कराएं।

मुख्यमंत्री ने कोविड-19 महामारी के प्रभावी नियंत्रण, निगरानी, रोकथाम एवं लोगों को दी जा रही राहत के संबंध में वीडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोमवार को विभागों के आलाधिकारियों और सभी डीएम-एसपी के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने कई निर्देश जारी किए। इस दौरान सीएम ने कहा कि सभी जिलों में कोरोना जांच की व्यवस्था उपलब्ध हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग आवश्यक कार्रवाई करे।

भोपाल: मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फंसे बिहार के छात्रों सहित अन्य लोगों की समस्या उठाते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बिहार सरकार से अनुरोध किया कि वह अपने लोगों की मूल राज्य में सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के साथ समन्वय करे। कांग्रेस नेता ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोमवार को लिखे पत्र में कहा, 'मैं मध्यप्रदेश में फंसे बिहार के 1800 छात्रों और मजदूरों की सूची संलग्न कर रहा हूं। ये सभी बिहार के विभिन्न जिलों के निवासी हैं एवं गंभीर परेशानियों के चलते बिहार स्थित अपने गांव आना चाहते हैं।'

उन्होंने कहा, 'मेरा आपसे अनुरोध है कि भोपाल में फंसे बिहार के इन छात्रों और मजदूरों को वापस बुलाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार से समन्वय स्थापित करके उनकी वापसी सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने का कष्ट करें।' सिंह ने अपने पत्र की प्रति मध्यप्रदेश के मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के मुख्य सचिव आई एस बैंस को भी उचित कार्रवाई के लिए भेजी है। इससे पहले सिंह ने कश्मीरी छात्रों को वापस उनके घर भेजने का मुद्दा उठाया था और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था।

नई दिल्ली/पटना: दिल्ली से बिहार भेजे गए 1200 प्रवासी मजदूरों के रेल किराये को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में जुबानी जंग शुरू हो गई है। दिल्ली में फंसे 1200 प्रवासी मजदूर शुक्रवार को विशेष रेल से मुजफ्फरपुर के लिए रवाना हुए। दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया देने से इंकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने ट्वीट करते हुए मुजफ्फरपुर रवाना हुई ट्रेन का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार सरकार ने 1200 प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया देने से इंकार कर दिया है और अब पूरा खर्च अरविंद केजरीवाल सरकार वहन करेगी।

दिल्ली सरकार के इस बयान पर बिहार ने पलटवार किया है। जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने छह मई को दिल्ली सरकार के नोडल अधिकारी पीके गुप्ता द्वारा बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को लिखी गई चिट्ठी को सार्वजनिक किया है।  चिट्ठी में नोडल अधिकारी पीके गुप्ता ने लिखा है कि 1200 प्रवासी मजदूरों के दिल्ली से मुजफ्फरपुर यात्रा का खर्चा जो तकरीबन 6.5 लाख होगा वह तत्काल दिल्ली सरकार वहन करेगी और बाद में इस रकम का भुगतान बिहार सरकार दिल्ली सरकार को करेगी।

पटना (जनादेश ब्यूरो): बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए के दोनों घटक दल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भाजपा के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है। इसका एक उदाहरण रविवार को देखने को मिला जब बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को घेरा। संजय जायसवाल ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि बिहार सरकार के अधिकारी कोई बात ठीक से नहीं बताते। उनकी शिकायत प्रवासी बिहारी संघ से भी संबंधित थी कि इस सम्बंध में ना कोई नोडल अधिकारी फ़ोन उठाते हैं ना सही जानकारी मिलती हैं। उन्होंने इस संबंध में उत्तर प्रदेश का हवाला दिया और कहा कि देखिए वहां कैसे मुख्य सचिव के द्वारा सभी जानकारी दी जाती हैं।

इससे पूर्व भी संजय जयसवाल ने बिहार सरaकार की सार्वजनिक रूप से आलोचना पिछले साल पटना में जल जमाव के समय की थी। हालांकि बिहार भाजपा के कई सांसद नीतीश कुमार से ख़फ़ा हैं और उन्होंने पिछले हफ़्ते से हो रही बैठक के दौरान नीतीश कुमार का नाम लेकर आलोचना की थी सांसदों की शिकायत थी कि कोटा से छात्रों को लाने में जान बूझ कर देरी की गयी।

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