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पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दो टूक कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले को लेकर राजद महागठबंधन के किसी अन्य दलों के दबाव में भी नहीं आएगा। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने जनादेश का अपमान किया और यहां की जनता नीतीश को कभी माफ नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, 'जनता को ठगने वाले और 36 घोटालों में शामिल रहने वाले नीतीश की महागठबंधन में कोई जगह नहीं है। अगर नीतीश को महागठबंधन में शामिल कराया जाता है, तो यहां की जनता महागठबंधन को भी माफ नहीं करेगी।' तेजस्वी ने बिहार में लचर कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में आपराधिक घटनाओं में जबरदस्त वृद्धि हुई है। उन्होंने इसके लिए एक साइकिल रैली निकालने की बात कही और कहा कि इस रैली में राजद के अलावा महागठबंधन में शामिल सभी दलों के लोग रहेंगे।

बता दें कि एक दिन पहले ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मंझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में लौटने पर शर्त रख दी थी।

पटना/नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मंझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में लौटने पर शर्त रख दी है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने दो टूक कहा है कि अगर नीतीश महागठबंधन में लौटते भी हैं, तब भी तेजस्वी यादव ही 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। 'हम' प्रमुख मांझी ने कहा, 'अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद त्यागकर महागठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो भी मुझे लगता है कि तेजस्वी यादव 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में हमारे महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे।' 

उन्होंने लोकसभा चुनाव में राजग में शमिल जेडीयू के अधिक सीटों की मांग पर कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने सिर्फ दो सीटें ही जीती थी, ऐसे में अधिक सीटों पर उसका दावा ही नहीं बनता है। इधर, मांझी ने बिहार की विधि-व्यवस्था को भी लेकर एक बार फिर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बिहार में अभी 'आपातकाल' से भी बदतर हालत है। उन्होंने कहा कि आज राज्य में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं लगातार हो रही है।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि देश में वोट के किए जातीय और संप्रदायिक तनाव का माहौल बनाया जा रहा हैं। लेकिन नीतीश का कहना था कि उनका विश्वास है कि काम के आधार पर वोट मांगना चाहिए, इसलिए वो वोट की चिंता नहीं वोटर की चिंता करते हैं। नीतीश पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में उनके साथ केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी मोजूद थे।

नीतीश ने अपने भाषण में बार-बार इस बात का ज़िक्र किया कि समाज में प्रेम सद्भावना और सकरात्मक सोच की जगह एक टकराव और तनाव का माहौल को बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने खासकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपशब्दों के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की। भाषण के दौरान नीतीश ने साफ-साफ कहा कि कुछ लोग समाज में टकराव का माहौल पैदा करना चाहते हैं, लेकिन उससे किसी समस्या का हल नहीं होगा। नीतीश के रूख से साफ है कि वो अपने सहयोगी भाजपा के टकराव की राजनीति से इत्तेफाक नहीं रखते।

नई दिल्ली: जेडीयू के नेता संजय सिंह ने कहा है कि बिहार में भाजपा के जो नेता हेडलाइंस बनना चाहते हैं, उन्हें नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि 2014 और 2019 में बहुत अंतर है। भाजपा को पता है कि वह बिहार में बिना नीतीश कुमार के साथ चुनाव जीतने में सक्षम नहीं होगी। अगर भाजपा को सहयोगियों की जरूरत नहीं है, तो वह बिहार में सभी 40 सीटों पर लड़ने के लिए स्वतंत्र है। वहीं अगले लोकसभा चुनावों की खातिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवा भाजपा सहित बिहार की चार सहयोगी पार्टियों में सीट बंटवारे के लिए जदयू 2015 के राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाना चाहता है। जदयू ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया था।

भाजपा और उसकी दो सहयोगी पार्टियों- राम विलास पासवान की अगुवाई वाली लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली रालोसपा- की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जदयू की मांग पर सहमति के आसार न के बराबर हैं। लेकिन जदयू नेताओं का दावा है कि 2015 का विधानसभा चुनाव राज्य में सबसे ताजा शक्ति परीक्षण था और आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे में इसके नतीजों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

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