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इंफाल: मणिपुर में भीड़ ने राज्य सरकार में मंत्री एल सुसींद्रो के इंफाल पूर्वी जिले के चिनगारेल स्थित निजी गोदाम में आग लगा दी। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। भीड़ ने उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री सुसींद्रो के इसी जिले के खुरई इलाके में स्थित आवास और अन्य संपत्तियों को भी शुक्रवार रात आग के हवाले करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों के वक्त पर पहुंचकर उन्हें रोक दिया। पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने आधी रात तक आंसू गैस के कई गोले दागे, ताकि भीड़ को मंत्री के खुरई स्थित आवास का घेराव करने से रोका जा सके।
घटना में किसी के भी हताहत होने की जानकारी नहीं है। इससे पहले, राज्य की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम जिले के लामफेल इलाके स्थित घर को 14 जून की रात को अज्ञात लोगों ने जला दिया था। इसके अगले दिन केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला किया गया था और उसे जलाने की कोशिश की गई थी।
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों में हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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इंफाल: मणिपुर में बीते कुछ दिनों से रुक रुक कर हो रही हिंसा के बाद बुधवार की शाम एक बम धमाका हुआ है। अभी तक मिल रही जानकारी के अनुसार इस धमाके में तीन लोग घायल हुए हैं। धमाके में घायल हुए लोगों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मिल रही जानकारी के अनुसार धमाके में जो तीन लोग घायल हुए हैं, उनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस के अनुसार क्वाक्टा में यह बम धमाका शाम साढ़े सात बजे हुआ है। इस धमाके के लिए एक एसयूवी कार का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस फिलहाल इस पूरे मामले की जांच में जुटी है।
बम को एक एसयूवी कार में रखा गया था। बता दें कि क्वाक्टा राज्य के सबसे खराब हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। इस धमाके में घायल हुए तीन लोगों में से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। सभी घायलों का फिलहाल इलाज चल रहा है। इस धमाके के बाद अधिकारियों ने कहा कि संयुक्त सुरक्षा बलों ने बुधवार को इंफाल पश्चिम जिले के लीमाखोंग इलाके में कथित तौर पर विद्रोहियों द्वारा इस्तेमाल किए गए एक बंकर को नष्ट कर दिया है।
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इंफाल: कई व्यक्तियों द्वारा दायर अनुरोधों के बादए मणिपुर उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में आज राज्य के अधिकारियों को अपने नियंत्रण में कुछ निर्दिष्ट स्थानों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट 23 जून को इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय ने जनता के सामने आने वाली कठिनाई, विशेष रूप से छात्रों की चल रही प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में और जनता को उनकी तत्काल और आवश्यक सेवाओं को पूरा करने में सक्षम बनाने पर विचार किया।
आदेश में कहा गया है, "जनता के सामने आने वाली कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से राज्य में छात्रों की चल रही प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में और जनता को उनकी तत्काल और आवश्यक सेवाओं को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए, राज्य के अधिकारियों को सीमित इंटरनेट सेवा प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है।"
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसक झड़प के एक दिन बाद 4 मई से इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध है।
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नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। आदिवासियों की सुरक्षा सेना से कराने की मांग की है। कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इंकार किया है। कोर्ट ने कहा कि ये मामला गंभीर है और पूरी तरह से कानून- व्यवस्था से जुड़ा है। फिलहाल सेना के दखल आदि पर अदालत को आदेश जारी नहीं करना चाहिए। कोर्ट 3 जुलाई को सुनवाई करेगा।
आदिवासियों की सुरक्षा सेना से कराने की मांग
याचिकाकर्ता की ओर से पेश कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि 70 आदिवासियों की हत्या हो चुकी है। सरकार किसी भी तरह से हिंसा को रोकने में नाकाम रही है, जबकि सरकार की ओर से अदालत को आश्वासन दिया गया था कि वो सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखेगी। अदालत को आदिवासियों की सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती के आदेश देने चाहिए। वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये कानून- व्यवस्था का मामला है। पहले भी अदालत ने ऐसी ही अर्जी पर सुनवाई से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा, फिलहाल एजेंसियों को काम करने दिया जाना चाहिए।
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