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इंफाल: दो हफ्ते की शांति के बाद, मणिपुर के उखरुल जिले में आज तीन लोगों की हत्या कर दी गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। लिटन के पास थोवई गांव में दो समुदायों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें तीन ग्रामीणों की मौत हो गई। सुबह-सुबह गोलियों की आवाजें सुनी गईं और सुरक्षा बलों के इलाके में पहुंचने के बाद ही गोलीबारी रुकी। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आसपास के गांवों और जंगलों की गहन तलाशी ली और तीन लोगों के शव पाए गए।

अधिकारियों के मुताबिक, तीनों शवों पर धारदार चाकू से हमले के निशान हैं और उनके हाथ-पैर भी कटे हुए हैं। पूर्वोत्तर राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किये जाने के दौरान तीन मई को हिंसा भड़की थी। तब से राज्य में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं।

इंफाल: मणिपुर में जारी हिंसा के बाद अब राजनीति भी चरम पर पहुंच गई है। इंडिया गठबंधन के सांसद जहां बीते दिन हिंसा पीड़ितों से मिले तो वहीं भाजपा ने इसे नाटक करार दिया। विपक्षी सांसदों ने बीते दिन मणिपुर में राहत शिविरों का भी दौरा किया और लोगों से उनकी तकलीफों के बारे में जाना। इस बीच अब सभी सांसदों ने राज्यपाल अनुसुइया उइके से राजभवन में मुलाकात की है।

मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात के बाद इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने मीडिया को संबोधित किया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सभी 21 सांसदों ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा।

अधीर रंजन ने कहा, जब हमने राज्यपाल से बात की तो उन्होंने खुद अपना दर्द और दुख व्यक्त किया। इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान हमने जो कुछ भी देखा, वह भी हमारी बात से सहमत हुईं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हम सभी समुदायों के नेताओं के साथ मिलकर बातचीत करें और समाधान निकालें। उन्होंने कहा कि विपक्ष और सत्तारूढ़ दल दोनों को मिलकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए।

नई दिल्‍ली: मणिपुर सरकार ने हिंसा प्रभावित राज्य में आंशिक रूप से इंटरनेट बहाल कर दिया है। सरकार ने आज एक आदेश में कहा कि केवल वे लोग जिनके पास स्‍टेटिक आईपी कनेक्शन है, वे ही सीमित तरीके से इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं। वहीं फिलहाल राज्‍य में मोबाइल इंटरनेट पर लगी पाबंदी जारी रहेगी। राज्‍य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पों के बाद करीब दो महीने से ज्‍यादा वक्‍त से इंटरनेट बंद था। बता दें कि मणिपुर हिंसा के कारण 3 मई के बाद से अब तक 160 से ज्‍यादा लोग मारे जा चुके हैं।

सरकार की ओर से कहा गया है कि स्टेटिक आईपी के अलावा किसी अन्य कनेक्शन की अनुमति नहीं है। अगर कोई सब्‍सक्राइबर किसी अन्‍य कनेक्शन का उपयोग करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए सेवा प्रदाता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। जब किसी डिवाइस को एक स्‍टेटिक आईपी एड्रेस दिया जाता है तो यूनिक एड्रेस नहीं बदलता है। ज्‍यादातर डिवाइस डायनेमिक आईपी एड्रेस का उपयोग करते हैं। कानून प्रवर्तन अधिकारियों के द्वारा स्‍टेटिक आईपी एड्रेस की निगरानी करना आसान होता है।

नई दिल्ली: पिछले कई महीनों से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है। हाल में महिलाओं पर अत्याचार का वीडियो वायरल होने के बाद देश में गुस्सा भी देखा जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में अब मणिपुर से बीजेपी विधायक पाओलीनलाल हाओकिप ने घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की आलोचना की है।

उन्होंने कहा कि उन 79 दिनों के बारे में भूल जाइए, इतनी बड़ी हिंसा के लिए एक सप्ताह (प्रतिक्रिया देने के लिए) भी बहुत लंबा समय होता है। पाओलीनलाल होकिप खुद कुकी-जोमी समुदाय से आते हैं। उनका मानना है कि पीएम मोदी की प्राथमिकताएं पूरी तरह से गलत हैं। इसके अलावा वो ये भी दावा करते हैं कि प्रधानमंत्री के अमेरिका के दौरे से पहले उन्होंने पीएम तक पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो सके।

न्यूजलॉन्ड्री को दिए एक इंटरव्यू में पाओलीनलाल हाओकिप ने कहा, “इंटरनेशनल रिलेशन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन जहां पर लोग मारे जा रहे हैं उस मामले को सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए। मानवता यही है, जिसकी कमी है।”

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