ताज़ा खबरें
महाकुंभ भगदड़ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जनहित याचिका हुई दायर
महाकुंभ भगदड़: बंगाल के परिवारों का शव बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के सौंपे
हमास ने 8 बंधक छोड़े, इजरायल ने फलस्तीनी कैदियों को नहीं किया रिहा
राहुल ने नाव में बैठकर पूछा-केजरीवाल जी, यमुना में डुबकी कब लगाएंगे
संसद का बजटसत्र रहेगा हंगामेदार, महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा भी गूंजेगा

इंफाल: कई व्यक्तियों द्वारा दायर अनुरोधों के बादए मणिपुर उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में आज राज्य के अधिकारियों को अपने नियंत्रण में कुछ निर्दिष्ट स्थानों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट 23 जून को इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय ने जनता के सामने आने वाली कठिनाई, विशेष रूप से छात्रों की चल रही प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में और जनता को उनकी तत्काल और आवश्यक सेवाओं को पूरा करने में सक्षम बनाने पर विचार किया।

आदेश में कहा गया है, "जनता के सामने आने वाली कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से राज्य में छात्रों की चल रही प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में और जनता को उनकी तत्काल और आवश्यक सेवाओं को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए, राज्य के अधिकारियों को सीमित इंटरनेट सेवा प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है।"

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसक झड़प के एक दिन बाद 4 मई से इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध है।

नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। आदिवासियों की सुरक्षा सेना से कराने की मांग की है। कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इंकार किया है। कोर्ट ने कहा कि ये मामला गंभीर है और पूरी तरह से कानून- व्यवस्था से जुड़ा है। फिलहाल सेना के दखल आदि पर अदालत को आदेश जारी नहीं करना चाहिए। कोर्ट 3 जुलाई को सुनवाई करेगा।

आदिवासियों की सुरक्षा सेना से कराने की मांग

याचिकाकर्ता की ओर से पेश कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि 70 आदिवासियों की हत्या हो चुकी है। सरकार किसी भी तरह से हिंसा को रोकने में नाकाम रही है, जबकि सरकार की ओर से अदालत को आश्वासन दिया गया था कि वो सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखेगी। अदालत को आदिवासियों की सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती के आदेश देने चाहिए। वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये कानून- व्यवस्था का मामला है। पहले भी अदालत ने ऐसी ही अर्जी पर सुनवाई से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा, फिलहाल एजेंसियों को काम करने दिया जाना चाहिए।

इंफाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को लोगों को चेतावानी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने राज्य में हिंसा बंद नहीं की तो, उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने रविवार रात पश्चिम इंफाल जिले में अज्ञात व्यक्तियों की ओर से अकारण की गई गोलीबारी में एक सैनिक के घायल होने पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही। सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा, इसे (हिंसा को) बंद कीजिए। वरना, परिणाम भुगतने होंगे। मैं जनता... हथियार थामे मैतेई लोगों...से अपील करता हूं कि वे किसी पर हमला न करें और शांति बनाए रखें, ताकि हम राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कर सकें।

बेघर हिंसा पीड़ितों के लिए प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाया जाएगा: सीएम बीरेन सिंह

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि राज्य में जारी हिंसा के दौरान अपने घरों से भागे लोगों को बसाने के लिए उनकी सरकार तीन से चार हजार प्री-फैब्रिकेटेड घरों का निर्माण करेगी। कुछ राहत शिविरों का दौरा करने के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि प्री-फैब्रिकेटेड घर दो महीने में तैयार हो जाएंगे।

इंफाल: मणिपुर में हिंसा की घटनाएं लगातार जारी हैं। शुक्रवार रात को यहां विद्रोहियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई झड़प में दो लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के घरों को भी जलाने की कोशिश की गई।

भाजपा नेताओं के घरों को निशाना बना रहे प्रदर्शनकारी

मणिपुर के विष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचांदपुर जिले के कंगवई से पूरी रात गोलीबारी की खबर सामने आई है। अधिकारियों के अनुसार पश्चिमी इंफाल के इरिंगबाग पुलिस थाने में लूट और विधायक बिस्वजीत के घर में भी आग लगाने की कोशिश की गई।

प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना, असम राइफल्स और मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने इंफाल में आधी रात तक संयुक्त मार्च निकाला। उन्होंने बताया कि लगभग एक हजार की भीड़ ने महल परिसर के पास स्थित इमारतों में आग लगाने की कोशिश की थी। भीड़ को शांत करने के लिए आरएएफ ने आंसू गैस के गोले दागे और रबड़ की गोलियां भी चलाई। आधीरात को प्रदर्शनकारियों ने शिंजेमई में भाजपा दफ्तर का घेराव किया।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख