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मुंबई: बड़े राज्यों का शासन ठीक से नहीं चल पाने की बात पर जोर देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि यदि भाजपा भी उत्तर प्रदेश की सत्ता में आ जाए तो उसे इस पूर्वी राज्य के प्रबंधन में तमाम मुश्किलें आएंगी । रमेश ने यह भी कहा कि छोटे राज्यों में कांग्रेस शासित उत्तराखंड 'बेहतर शासित' नहीं था, जबकि भाजपा शासित छत्तीसगढ़ था । कांग्रेस नेता ने कहा, 'सैद्धांतिक तौर पर देखें तो छोटे राज्यों को बेहतर शासित होना चाहिए, अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए । क्या उत्तराखंड बेहतर शासित है? नहीं. क्या छत्तीसगढ़ बेहतर शासित है? हां. क्या झारखंड बेहतर है? नहीं. क्या हिमाचल बेहतर है? हां. लिहाजा, भारत में प्रमाण मिले-जुले हैं । इसकी कोई गारंटी नहीं है कि छोटे राज्यों पर शासन बेहतर तरीके से चलाया जा सकता है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों का शासन कभी ठीक से नहीं किया जा सकता' । उन्होंने कहा, 'उत्तर प्रदेश शासन करने के लायक नहीं है । नोटबंदी का भला हो, यदि मोदी को उत्तर प्रदेश में बहुमत मिल भी जाता है तो वह राज्य का प्रबंधन नहीं कर सकेंगे' । रमेश ने कहा कि उनकी किताब 'ओल्ड हिस्ट्री, न्यू जियोग्राफी' में उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर गलती की और उसे उत्तर प्रदेश का बंटवारा करना चाहिए था । राज्यसभा सांसद रमेश यहां टाटा साहित्योत्सव में अपनी किताब पर आयोजित एक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।

मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल को संबोधित करते हुए इस साल का नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाले गीतकार-गायक बॉब डिलन के प्रसिद्ध गाने ‘द टाइम्स दे आर अ-चेंजिंग’ की पंक्तियां उद्धृत करते हुए नोटबंदी के बाद देश में पैदा हुए राजनीतिक माहौल की तरफ परोक्ष इशारा किया। डिलन का यह गाना बदलाव का गीत माना जाता है। मोदी ने उपनगरीय बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स में कार्यक्रम के लिए जुटे हजारों लोगों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा, ‘2014 में मैंने न्यूयार्क के खूबसूरत सेंट्रल पार्क में ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल में शामिल होने का लुत्फ उठाया था। लेकिन इस बार मेरे (व्यस्त) कार्यक्रम ने मुझे व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की इजाजत नहीं दी।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे अपने खुद के प्रेरणास्रोत हैं। लेकिन आप संभवत: बॉब डिलन, नोरा जोन्स, क्रिस मार्टिन और ए आर रहमान से ज्यादा वाफिक होंगे।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसलिए डिलन के बदलाव की पहचान बने एक गाने को उद्धृत करना चाहूंगा जो आज भी उतना ही महत्व रखता है जितना महत्व 1960 के दशक में पहली बार गाए जाने के दौरान था।’ उन्होंने 1964 में रिलीज हुए डिलन के प्रसिद्ध गाने की पंक्तियां उद्धृत करते हुए कहा, ‘कम मदर्स एंड फादर्स, थ्रूआउट द लैंड, एंड डोंट क्रिटिसाइज, वाट यू कांट अंडरस्टैंड। योर सन एंड डॉटर्स, आर बियोंड योर कमांड। योर ओल्ड रोड इज रैपिडली एजिंग। प्लीज गेट आउट ऑफ दि न्यू वन इफ यू कांट लेंड योर हैंड, फोर द टाइम्स दे आर अ-चेजिंग।’

मुंबई: पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार के कामकाज के तौर तरीकों पर चुटकी लेते हुए कहा कि इस सरकार के लिए भारत में सभ्यता और कामकाज की शुरूआत 26 मई 2014 के बाद ही हुई। उन्हें लगता है कि उनके सत्ता में आने से पहले देश में कोई सभ्यता ही नहीं थी। चिदंबरम ने आज यहां टाटा समूह द्वारा आयोजित मुंबई साहित्य महोत्सव में बैंकिंग विषय पर एक सत्र में कहा, ‘जहां तक मौजूदा सरकार की बात है, उनके लिये भारत और भारत में सभ्यता की शुरुआत केवल 26 मई 2014 को हुई।’ पूर्व वित्त मंत्री वास्तव में पिछली संप्रग सरकार के समय में खोले गये 13 करोड़ ‘नो-फ्रिल’ (शून्य शेष) वाले खातों को मौजूदा सरकार द्वारा गणना में नहीं लिये जाने का जिक्र कर रहे थे। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जनधन योजना के तहत करोड़ों बैंक खाते खोले गये। चिदंबरम का कहना है कि मोदी सरकार इसमें संप्रग सरकार के कार्यकाल में खोले गये खातों को नजरंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने 2004 से 2014 की अवधि में वित्तीय समावेश कार्यक्रम के तहत 13 करोड़ ‘नो-फ्रिल’ खाते खोले लेकिन अब उन्हें भुला दिया गया। चिदंबरम ने कहा ‘ये 13 करोड़ खाते रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन के दिशानिर्देशों के तहत 2004 से 2014 के बीच खोले गये, लेकिन जहां तक मौजूदा सरकार की बात है, ये खाते कहीं नहीं हैं, उन्हें पूरी तरह भुला दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ पिछली संप्रग सरकार के ‘नो-फ्रिल’ खातों का ही नया रूप है।

मुंबई: मोदी सरकार की प्रमुख सहयोगी शिवसेना ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान की हिमायत की है, जिसमें आजाद ने नोटबंदी पर बीजेपी पर हमला करते हुए विमुद्रीकरण से होने वाली मौतों की तुलना उरी आतंकवादी हमले में मरने वालों से की थी। भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना ने कहा कि टिप्पणियों के लिए आजाद से माफी मंगवाने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी। गौरतलब है कि बीजेपी ने अपनी टिप्पणियों के लिए आजाद से माफी की मांग की थी लेकिन कांग्रेस नेता ने उसकी मांग ठुकरा दी। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित संपादकीय में सवाल किया गया, 'अगर आजाद ने माफी मांग ली तो क्या सच्चाई बदल जाएगी।' संपादकीय में कहा गया, 'उरी हमले में 20 जवान शहीद हुए थे। नोटबंदी के चलते (चलन से हटाए गए नोटों को बदलने के लिए बैंकों की कतारों में लगे) 40 शूरवीर देशभक्तों ने बलिदान दिया।' शिवसेना मुखपत्र ने कहा, 'हमलावरों में फर्क है. उरी में पाकिस्तानियों का हमला हुआ और नोटबंदी का हमला हमारे शासनकर्ताओं ने किया।' सामना में लिखा गया है, 'महंगाई, मंदी, बेरोजगारी के चलते (मरने वालों की तादाद) 40 से 40 लाख हो जाएगी, तो भी सरकार कहेगी यह देशभक्ति का बलिदान है।' शिवसेना ने कहा, 'ऐसे में एक दिन कहीं पूरे देश को ही 'शहीद' कहने की नौबत न आ जाए।'

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