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नई दिल्ली: शिलांग में रविवार शाम भड़की ताजा हिंसा के बाद शहर में तनाव बने रहने के मद्देनजर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के करीब 1000 जवान मेघालय भेजे गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी भी राज्य सरकार के अधिकारियों के संपर्क में है और मेघालय की राजधानी शिलांग की वर्तमान स्थिति के बारे में नियमित रूप से सूचना ले रहे हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के अनुरोध पर स्थिति के नियंत्रण के लिए पर्याप्त बल भेजे गए हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अर्धसैनिक बलों की करीब 10 कंपनियां मेघालय भेजी गई हैं। अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 जवान होते हैं।

मेघालय की राजधानी में शनिवार से ही कर्फ्यू लगा हुआ है। शुक्रवार को पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हुई थी। शुक्रवार को देर रात सेना ने विभिन्न क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया था। यह पहाड़ी शहर गुरुवार से ही हिंसा की चपेट में है, क्योंकि शिलांग के पंजाबी लाइन इलाके के बाशिंदों और मेघालय राज्य परिवहन की बसों के ड्राइवरों के बीच झड़प हो गई थी।

अमरिंदर सिंह ने भेजी चार सदस्यीय टीम

उधर, पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार ने कैबिनेट मंत्री सुखजींदर रंधावा के नेतृत्व में चार सदस्यीय एक टीम मेघालय की राजधानी भेजी है। टीम संकटग्रस्त इलाकों में हालात का जायजा लेगी और वहां सिख समुदाय को हर संभव मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने टीम को सोमवार की सुबह शिलांग के लिए रवाना होने को कहा। अमरिंदर ने टीम की तनाव वाले इलाकों में पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का सहयोग मांगा है। चार सदस्यीय टीम ने सोमवार शाम को राज्य सचिवालय में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा से मुलाकात की। मेघालय के मुख्यमंत्री ने उन्हें राज्य में रह रहे सिखों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है।

झड़प सांप्रदायिक नहीं

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि हिंसा स्थानीय मुद्दे की वजह से हुई थी और यह सांप्रदायिक प्रकृति की हिंसा नहीं थी। संगमा ने बताया, 'समस्या एक खास इलाके में एक खास मुद्दे को लेकर हुई। दो समुदाय इसमें शामिल थे, लेकिन यह सांप्रदायिक प्रवृति की चीज नहीं थी।'

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