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जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार (20 फरवरी) को कहा कि राजस्थान के नागौर जिले में दो दलित युवकों के साथ कथित रूप से बर्बर तरीके से मारपीट के मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। इस बीच पुलिस ने रविवार (16 फरवरी) को हुई इस घटना के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। गहलोत ने इस घटना को 'वीभत्स' बताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि इस मामले में तत्काल व प्रभावी कार्रवाई की गई है। अब तक सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। गहलोत ने लिखा है, ''किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों को कानून के हिसाब से सजा मिलेगी और हम सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ितों को न्याय मिले।"

उल्लेखनीय है कि दलित युवकों की कथित रूप से बर्बर तरीके से पिटाई का यह मामला बड़ा प्रकरण बन गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस घटना को 'भयावह और वीभत्स करार देते हुए गहलोत सरकार से कहा कि वह इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे। गांधी ने ट्वीट किया, ''राजस्थान के नागौर जिले में दो दलित नौजवानों को बर्बरता के साथ प्रताड़ित किए जाने का हालिया वीडियो भयावह और वीभत्स है।"

जयपुर: राजस्थान के नागौर जिले में कथित रूप से चोरी करते पकड़े गए दो युवकों की बेरहमी से पिटाई का मामला सामने आया है। चोरी के आरोपी युवकों के साथ हुई दरिंदगी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें एक युवक को तीन लोग पीट रहे हैं और इस दौरान एक शख्स स्क्रू ड्राइवर पर पेट्रोल लगाकर युवक प्राइवेट पार्ट में डाल रहा है। पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि जिन युवकों को पीटा गया वह दलित समुदाय के हैं।

पांचौड़ी थाने के थाना प्रभारी राजपाल सिंह ने बताया कि घटना रविवार को एक दुपहिया वाहन कंपनी के शोरूम में हुई। शोरूम के कर्मचारियों ने कथित तौर पर चोरी करते पकड़े गए दो लोगों से बेरहमी से मारपीट की और इसका वीडियो भी बनाया। वीडियो सामने आने के बाद पीड़ितों ने बुधवार को मामला दर्ज करवाया। उन्होंने कहा कि पीड़ितों के अलावा एजेंसी की ओर से दोनों के खिलाफ पैसे चुराने के आरोप में मामला दर्ज करवाया गया है। थाना प्रभारी ने कहा कि मारपीट के संबंध में पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

जयपुर: राजस्थान सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आबकारी व मद्य संयम नीति जारी करते हुए कहा है कि वह उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्तापरक उत्पाद उपलब्ध करवाने के साथ साथ मदिरा के बढ़ते प्रचलन को हत्सोहित करने पर ध्यान देगी। राज्य सरकार ने यह नीति शनिवार को जारी की जिसमें कहा गया है कि यह नीति 31 मार्च 2021 तक एक साल के लिए होगी जिसे एक और साल के लिए बढाया जा सकता है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि वह आबकारी राजस्व में आ रही कमी को इस नीति के जरिए रोक पाएगी।

राज्य सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में आबकारी मद से लगभग 10500 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा है। इसके तहत वह शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस नये सिरे से जारी करेगी। इसमें देसी शराब, राजस्थान में बनी शराब, भारत में बनी विदेशी शराब व भांग बेचने के लाइसेंस शामिल हैं। नीति में आबकारी विभाग को मजबूत बनाने की बात भी की गयी है जिसके तहत विभाग व पुलिस द्वारा 2020-21 व इससे पहले शराब के अवैध परिवहन के मामलों में जब्त किए गए वाहनों की नीलामी ई आक्शन द्वारा की जाएगी।

जयपुर: जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के विरोध में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध करते हुए बुधवार (29 जनवरी) को कहा कि इन्हें लागू किए जाने से अंतत: देश में नफरत फैलेगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। गोपीनाथन ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'सीएए, एनपीआर व एनआरसी नफरत की कार्रवाई है, भ्रष्टाचार की कार्रवाई है। इनके लिए काम जितना आगे जारी रहेगा उतनी ही अधिक नफरत पैदा होगी।'

नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना करते हुए कन्नन ने कहा, 'सीएए संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है और इसलिए लोग इसका विरोध कर रहे हैं।' उन्होंने एनपीआर व एनआरसी के प्रस्तावित कार्यान्वयन की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'एनपीआर और एनआरसी दस्तावेज आधारित कार्रवाई है जो गरीब, आदिवासी और महिलाओं के खिलाफ है और इससे अंतत: भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलेगा।'

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