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चंडीगढ़: हरियाणा में एक बार फिर किसान आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। मोहाली एयरपोर्ट पर भाजपा की सांसद कंगना रानौत को सीआईएसएफ महिला जवान द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद अचानक से किसान संगठन अलर्ट मोड पर आ गए हैं। भारतीय किसान यूनियन समेत प्रदेश के किसान संगठनों ने महिला जवान का स्वागत किया और किसी भी स्थिति में उसका साथ देने का वादा भी किया है। उधर, फिर से किसान आंदोलन की चर्चा शुरू होने से खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। किसान संगठनों पर निगरानी बढ़ा दी गई है और उनकी तमाम गतिविधियों पर ध्यान रखा जा रहा है।

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले पंजाब में 13 फरवरी से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी। किसानों ने दिल्ली कूच करने के लिए पूरी ताकत झोंकी, लेकिन वह शंभू बॉर्डर से आगे नहीं बढ़ पाए। हरियाणा पुलिस द्वारा पक्के बंदोबस्त करके किसानों को रोका गया था। इस दौरान हरियाणा में केवल धरने और प्रदर्शन करके किसानों ने अपनी ताकत का अहसास कराया था। भारतीय किसान यूनियन संगठनों ने ट्रैक्टर मार्च भी किया था।

हालांकि, उस समय हरियाणा में आंदोलन इतनी गति नहीं पकड़ पाया, क्योंकि हरियाणा में भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी और रतन मान इस बात को लेकर नाराज थे कि आंदोलन से पहले उनके साथ सलाह नहीं की गई, इसलिए दिल्ली कूच पर सहमति नहीं बन पाई। हालांकि, लोकसभा चुनावों में किसान संगठनों ने खुलकर भाजपा का विरोध किया।

लोकसभा चुनावों के परिणामों में किसान आंदोलन का साफ असर रहा और भाजपा ने पांच सीटें गंवा दी। किसान संगठन भाजपा की सीटें कम करने से उत्साहित हैं। अक्टूबर माह में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए दोबारा से किसान आंदोलन की मंशा है।

हम महिला जवान और उसके परिवार के साथ: चढ़ूनी

भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि संविधान ने सभी को बोलने की आजादी दी है, लेकिन किसी के बारे में गलत बोलने की नहीं। हम सीआईएसएफ महिला जवान और उसके परिवार के साथ हैं। उनको आर्थिक और सामाजिक मदद की जाएगी। कंगना ने किसानों और महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी की थी, ये घटनाक्रम उसकी प्रतिक्रिया है। जनप्रतिधियों को अपनी जुबान पर लगाम रखनी चाहिए।

सरकार के खिलाफ गांव-गांव जाएंगे, बैठक बुलाकर बनाएंगे रणनीति: मान

भाकियू (टिकैत गुट) के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि लोकसभा में किसानों ने भाजपा को अपनी ताकत का एहसास कर दिया है, अब विधानसभा चुनावों की बारी है। गांव गांव जाकर सरकार के खिलाफ प्रचार किया जाएगा और भाजपा प्रत्याशियों से सवाल पूछने के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा। इस संबंध में एसकेएम और हमारे संगठन की बैठक बुलाकर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी।

 

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