चंडीगढ़: कई जाट नेताओं ने आरक्षण की मांग को लेकर अपने आंदोलन को खत्म करने से इनकार करते हुए और कहा है कि जब तक सरकार समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने के लिए अध्यादेश नहीं लाएगी तब तक आंदोलन चलता रहेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा शनिवार को बयान जारी कर उनकी मांगों को 'स्वीकार' करने की बात के बाद उनकी यह प्रतिक्रिया आई है। नेताओं ने यह भी मांग की कि शुक्रवार को गोलीबारी में मारे गए व्यक्ति के परिजन को 50 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा, 'हम लोग तब तक अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे जब तक राज्य सरकार अध्यादेश लाकर जाटों को आरक्षण नहीं दे देती है।' उन्होंने कहा, 'हम खट्टर की तरफ से महज बयान को स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार को पहले अध्यादेश लाना होगा।
सरकार को इस बारे में विधानसभा में विधेयक पारित करना चाहिए।' यह पूछने पर कि समुदाय के युवक आंदोलनकारी नेताओं के 'नियंत्रण में नहीं' हैं क्योंकि वे हिंसा और आगजनी में शामिल हैं तो मलिक ने कहा कि युवक 'हमारे नियंत्रण' में हैं। मलिक ने आरोप लगाए, 'बीजेपी कार्यकर्ता हिंसा और आगजनी में शामिल हैं।' नेता ने कल खट्टर पर 'जातिवादी मानसिकता' के आरोप लगाए और कहा कि वह आरक्षण आंदोलन का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि वह 'समुदाय से नहीं आते हैं।' इससे पहले हरियाणा की बीजेपी सरकार ने समुदाय की मांग को 'स्वीकार' कर लिया जो ओबीसी श्रेणी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। खट्टर ने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे अपना आंदोलन समाप्त करें और उनसे कहा कि 'वे अपने घरों को लौट जाएं क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया है।' लेकिन उन्होंने विस्तार से जानकारी नहीं दी। इस बीच हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने आंदोलनकारियों से अपील की कि अपना प्रदर्शन वापस लें और वार्ता के माध्यम से मुद्दे का समाधान करें।