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नई दिल्ली: शराब कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। चेक बाउंस मामले में हैदराबाद की एक अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। इस बीच, खबरों में माल्या के हवाले से कहा गया है कि यह उनके भारत लौटने का सही समय नहीं है। माल्या ने संडे गार्डियन को ई-मेल से भेजे साक्षात्कार में कहा कि मैं दिल की गहराइयों से भारतीय हूं। निश्चित रूप से मैं लौटना चाहता हूं। लेकिन मुझे यह भरोसा नहीं है कि मुझे अपना पक्ष रखने का उचित अवसर दिया जाएगा। मुझे नहीं लगता यह लौटने का सही समय है। इसके साथ ही माल्या ने ट्वीट किया कि ब्रिटेन का मीडिया उनके पीछे लगा हुआ है और उन्हें तलाश रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं मीडिया से बात नहीं करूंगा, इसलिए अपना समय खराब नहीं करें।' इस बीच, हैदराबाद में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय से जब यह पूछा गया कि क्या किंगफिशर एयरलाइंस ने भविष्य निधि योगदान में कुछ गड़बड़ी की है, तो जवाब में उन्होंने कहा हमने अभी तक यह मुद्दा नहीं देखा है। हम सभी मुद्दों को देखेंगे।
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नई दिल्ली: बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन ने नमाज पढ़ने को लेकर विवादित बयान दिया है। तस्लीमा ने कहा है कि मुस्लिमों को पांच बार की जगह एक वक्त ही नमाज पढ़नी चाहिए। यही नहीं उन्होंने कहा है कि सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने की आजादी नहीं होनी चाहिए। तस्लीमा ने ये बातें ट्वीट कर कही हैं। तस्लीमा ने अपने ट्वीट में कहा है, 'जर्मनी के कुछ विश्वविद्यालयों में प्रेयर रूम को बंद कर दिया गया है। अच्छा फैसला। मुस्लिम समुदाय नाराज है।' तस्लीमा ने आगे कहा, 'किसी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पुस्तकालय, एयरपोर्ट, स्टेशन, मार्केट में प्रेयर रूम नहीं होने चाहिए। आपको यदि नमाज पढ़नी है तो घर पर पढ़ें।' गौरतलब है कि तस्लीमा नसरीन मशहूर लेखिका हैं और बांग्लादेश से निर्वासित हैं। वे कई सालों से दिल्ली में रह रही हैं। शुरुआत में वे पश्चिम बंगाल में रहीं। तस्लीमा के खिलाफ फतवे भी जारी हो चुके हैं।
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नई दिल्ली: अर्धसैनिक बलों में कांस्टेबल के तौर पर महिलाओं के लिए आरक्षण की घोषणा होने के बाद उन्हें अब सभी पांच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लड़ाकू भूमिका में अधिकारियों के तौर पर शामिल किया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में नये नियम जारी किये थे जिनमें महिलाओं को आईटीबीपी में सीधे प्रवेश के तौर पर अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए आवेदन की अनुमति दी गयी थी। यह एकमात्र अर्धसैनिक बल था जो दुर्गम चीन-भारत सीमा की पहरेदारी के प्रमुख कार्य के मद्देनजर महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में शामिल होने की अनुमति नहीं देता था। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) कहे जाने वाले इन पांच बलों में से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसए) महिलाओं को लंबे समय से यूपीएससी के माध्यम से डायरेक्ट-एंट्री अधिकारी के तौर पर आवेदन की अनुमति देते रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को क्रमश: 2013 और 2014 में महिला अधिकारियों की सीधी भर्ती की अनुमति दी गयी। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को इस तरह की अनुमति देने के साथ महिलाओं से इनमें से किसी भी बल में लड़ाकू भूमिका के लिए शामिल होने की सभी पाबंदियां हटा ली गयी हैं।
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नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने व्यवस्था दी है कि केंद्र और राज्यों के कैबिनेट मंत्री सार्वजनिक प्राधिकारी हैं और सूचना के अधिकार कानून के तहत जनता के सवालों का उत्तर देने के लिए जवाबदेह हैं। मंत्रियों को आरटीआई कानून के तहत जवाबदेह बताने वाले निर्देश का यह मतलब होगा कि लोग आरटीआई आवेदन दायर कर किसी मंत्री को सीधे सवाल भेज सकते हैं। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने अपने आदेश में कहा, ‘आयोग केंद्र और राज्यों से मजबूत सिफारिश करता है कि वे कुछ अधिकारी मनोनीत कर या लोक सूचना अधिकारी तथा प्रथम अपील अधिकारी के रूप में नियुक्ति करने सहित हर मंत्री को आवश्यक सहायता मुहैया कराए।’ आदेश में कहा गया है कि यह दावा करना कि कैबिनेट स्तर के मंत्रियों के पास वह अनिवार्य ढांचा नहीं होता जिसके आधार पर सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचना मुहैया कराई जा सके और क्योकि मंत्री ‘एक व्यक्ति कार्यालय’ भर है इसलिए उसे सार्वजनिक प्राधिकार नहीं माना जा सकता, मान्य नहीं हो सकता।’ सूचना आयुक्त ने निर्देश दिया कि ‘गोपनीयता की शपथ’ की जगह ‘पारदर्शिता की शपथ’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिससे कि मंत्री नागरिकों के सूचना के अधिकार का सम्मान करें और नागरिकों के प्रति जवाबदेह हों।
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