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नई दिल्ली: कांग्रेस और जद (यू) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो संबोधन की आलोचना करते हुए कहा कि अगर परेशानी पैदा करने में सिर्फ पांच फीसदी लोग शामिल हैं तो क्यों सरकार कश्मीर में कर्फ्यू हटाने में सक्षम नहीं हो सकी है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘अगर प्रधानमंत्री मानते हैं कि सिर्फ पांच फीसदी लोग परेशानी पैदा कर रहे हैं तो क्यों केंद्र और राज्य सरकार इसे रोकने में सक्षम नहीं है। क्यों 51 दिन के लिए कर्फ्यू।’’ उन्होंने मोदी से ‘‘एकतरफा संवाद करने की बजाय कश्मीरी लोगों के मन की बात सुनने को कहा।’’ अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में घाटी में अशांति पर बात करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘कश्मीर पर सभी दलों के साथ जो मैंने संवाद किया उससे एक बात उनलोगों से उभरकर सामने आई है, उसे सरल शब्दों में कहा जा सकता है ‘एकता’ और ‘ममता।’ ये दो बातें बुनियादी मंत्र हैं।’’ तिवारी ने कहा, ‘‘क्यों सामान्य जीवन पंगु हुआ। क्यों इंटरनेट सेवाएं बाधित हुईं। प्रधानमंत्री को एकतरफा संवाद करने की बजाय कश्मीरी लोगों के मन की बात को अवश्य सुनना चाहिए।’’ कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश की जनता कश्मीर में टिकाउ शांति चाहती है लेकिन जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री का बयान ऐसा साबित नहीं करता है। सुरजेवाला ने कहा, ‘‘भारत की जनता कश्मीर में टिकाउ शांति चाहती है। वह शांति मरहम लगाने, विकास प्रक्रिया दोबारा शुरू करके आएगी।
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मेलबर्न: फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डीसीएनएस स्कॉर्पीन पनडुब्बी का डाटा लीक होने से रोकने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ऑस्ट्रेलियाई अखबार ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ही भारत के लिए निर्माणाधीन इस पनडुब्बी से जुड़े दस्तावेजों को जारी कर रहा है। डीसीएनएस ने अपनी याचिका में कहा है कि अखबार से दस्तावेजों को हासिल कर उसे सौंपा जाए और उसकी वेबसाइट से भी इसकी सामग्री हटाई जाए। कंपनी के वकील जस्टिन मुनसे ने कहा कि बेहद महत्वपूर्ण, प्रतिबंधित और संवेदनशील दस्तावेजों को जारी कर डीसीएनएस और उसके ग्राहकों को सीधा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। दरअसल, अखबार ने पनडुब्बी से जुड़े सभी दस्तावेजों को सोमवार सार्वजनिक करने की धमकी दी है। गौरतलब है कि अखबार ने पनडुब्बी से जुड़े 22 हजार पेजों का दस्तावेज हासिल करने का दावा किया है। फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस भारत के लिए छह स्कॉर्पीन पनडुब्बी का निर्माण मुंबई के निकट मझगांव डॉकयार्ड में कर रही है।
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नई दिल्ली: सरकार संसद के शीतकालीन सत्र को तय समय से पखवाड़ा भर पहले ही बुला सकती है ताकि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े विभिन्न समर्थनकारी कानूनों को पारित करवाया जा सके। सरकार जीएसटी को अगले साल एक अप्रैल से कार्यान्वित करना चाहती है। संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के तीसरे या चौथे सप्ताह में होता है लेकिन इस साल सरकार इसे त्योहारी सीजन समाप्त होने के तुरंत बाद आहूत करना चाहती है। सरकारी अधिकारी के अनुसार अगर संसद का शीतकालीन सत्र थोड़ा पहले शुरू होता है तो केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) विधेयकों को नवंबर या दिसंबर के शुरू में पारित करवाया जा सकेगा। इन विधेयकों के पारित होने से जीएसटी के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा। उल्लेखनीय है कि उक्त दोनों विधयेक उस संविधान संशोधन विधेयक के समर्थन में हैं जिन्हें संसद के मानसून सत्र में पारित किया गया था। संविधान संशोधन विधेयक को अब तक असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, दिल्ली व मध्य प्रदेश सहित आठ राज्य विधानसभाएं मंजूरी दे चुकी हैं। इसे कानून बनाने के लिए 31 में से आधे राज्यों की मंजूरी जरूरी है। अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र व हरियाणा में उक्त संविधान संशोधन विधेयक को शीघ्र ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है और जरूरी आंकड़ा सितंबर तक हासिल होने की उम्मीद है।
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (रविवार) प्यार और एकता को कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मूल मंत्र बताया और बच्चों को अशांति पैदा करने के लिए उकसाने वालों पर यह कहते हुए नाराजगी जाहिर की कि एक न एक दिन उन लोगों को इन बेकसूर बच्चों को जवाब देना ही होगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर में अगर एक भी व्यक्ति की जान जाती है, चाहे वह कोई युवा हो या सुरक्षा कर्मी हो, तो वह हमारा, हमारे देश का नुकसान है। मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में घाटी में अशांति के बारे में कहा, कश्मीर में सभी पक्षों के साथ मेरे संवाद में एक चीज उभरी है जिसे सरल शब्दों में ‘एकता’ और ‘ममता’ कहा जा सकता है। यह दोनों चीजें ही (वहां की समस्या हल करने का) मूल मंत्र हैं।’ उन्होंने कहा कि कश्मीर पर सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में बात की है जिससे ‘पूरी दुनिया में, तथा अलगाववादी ताकतों तक संदेश’ पहुंचा है और इसके साथ ही कश्मीर के लोगों तक हमारी भावनाएं पहुंची हैं। प्रधानमंत्री ने इसे संसद द्वारा पारित महत्वपूर्ण जीएसटी विधेयक की राह के समकक्ष रखा। गौरतलब है कि संसद में जीएसटी विधेयक पर सभी राजनीतिक दलों ने एकजुटता दिखाई थी। ‘मन की बात’ में मोदी ने कहा ‘यह हम सभी की सोच है, गांव के एक प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक 125 करोड़ लोगों की सोच है कि अगर कश्मीर में एक भी व्यक्ति की जान जाती है, चाहे वह कोई युवा हो या कोई सुरक्षा कर्मी, वह हमारा, हमारे अपने देश का नुकसान है।’
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