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नई दिल्ली: एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में भीड़ पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले पेलेट गनों पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लगाई जाएगी और ‘दुर्लभतम मामलों’ में इनका इस्तेमाल किया जाएगा। सुरक्षा बलों से गहन विचार-विमर्श करने और कश्मीर घाटी में जमीनी हालात का परीक्षण करने के बाद वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। अधिकारी ने कहा कि पेलेट गन से फायरिंग करने का विकल्प कायम रहेगा, लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ दुर्लभतम मामलों में किया जाएगा। कश्मीर घाटी में भीड़ पर काबू पाने के लिए पेलेट गनों के इस्तेमाल पर सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इस हथियार से बड़े पैमाने पर घाटी में लोग घायल हुए हैं। गौरतलब है कि आठ जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में हुई मौत के बाद कश्मीर घाटी में पिछले 51 दिनों से जारी अशांति में दर्जनों लोग मारे गए हैं जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। बीते 24-25 अगस्त को कश्मीर की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों को पेलेट गनों का विकल्प मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा था, ‘आने वाले कुछ दिनों में हम पेलेट गनों का विकल्प मुहैया कराएंगे। इन बंदूकों को पहले गैर-जानलेवा समझा जाता था, लेकिन कुछ घटनाएं हुई हैं।

नई दिल्ली: दशकों के सैन्य शासन के बाद म्यांमा के एक नई राह पर कदम बढ़ाने के बीच भारत ने अपने इस पड़ोसी देश के सफर के ‘हर कदम’ पर तहेदिल से उसका समर्थन करने का वादा किया। दोनों देशों ने अपने संबंधों को गहरा बनाने और क्षेत्र में आतंकवादी एवं उग्रवादी गतिविधियों से मुकाबले में सक्रिय रूप से सहयोग करने का इरादा जाहिर किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की नई सरकार से किए जा रहे पहले शीर्ष-स्तरीय संवाद के दौरान म्यांमा के राष्ट्रपति यू तिन क्यॉव से गहन वार्ता की और म्यांमा की आंतरिक शांति प्रक्रिया के प्रति भारत का पूरा समर्थन जाहिर किया। दोनों देशों ने संपर्क, औषधि एवं अक्षय ऊर्जा के अलावा कृषि, बैंकिंग और बिजली सहित कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए चार सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर किए। मीडिया के लिए जारी बयान को पढ़ते हुए मोदी ने बाद में कहा कि दोनों पक्षों ने माना है कि एक-दूसरे के सुरक्षा हित करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं और दोनों देश क्षेत्र में आतंकवादी एवं उग्रवादी गतिविधियों से मुकाबले के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। तिन क्यॉव की मौजूदगी में मोदी ने कहा, ‘हमने माना कि हमारे सुरक्षा हित करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं और हम एक-दूसरे के सामरिक हितों एवं चिंताओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत पर सहमत हुए।’ मोदी ने कहा, ‘इस बाबत राष्ट्रपति और मैं हमारे लोगों की संरक्षा एवं सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

नई दिल्ली: स्कॉर्पीन पनडुब्बी लीक मामले पर पहली बार टिप्पणी करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा है कि पनडुब्बी से संबंधित जानकारी के लीक होने को ‘‘बेहद गंभीरता’’ से लिया जा रहा है हालांकि ‘‘यह मामला ज्यादा चिंताजनक नहीं है।’’ गौरतलब है कि पनडुब्बी की क्षमताओं से संबंधित जानकारियों से जुड़े 22,000 पन्ने लीक हो गए थे। नौसेना प्रमुख ने यहां कहा, ‘‘किसी भी जानकारी के लीक होने की घटना को बेहद गंभीरता से लिया जाता है । स्कॉर्पीन से संबंधित डाटा के लीक होने को हम बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और हमने फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस से इस मामले में तत्काल जांच करने को कहा है।’’ उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। उन्होंने बताया, ‘‘समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम देखेंगे कि इसके प्रभाव को कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।’’ लीक मामले की गंभीरता पर किए एक सवाल के जवाब में नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘यह मामला ज्यादा चिंताजनक नहीं है। फिलहाल समिति विश्लेषण कर रही है और यह देखेगी कि किस तरह की जानकारियों के साथ समझौता हुआ है और इसके प्रभाव को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है।’’ उच्च स्तरीय समिति रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर को 20 सितंबर तक विस्तृत रिपोर्ट दे सकती है।

नई दिल्ली: गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल चार सितम्बर को तनावग्रस्त कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां जायेगा। हिजुबल आतंकवादी बुरहान वानी के पिछले महीने मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से घाटी में लगभग डेढ़ महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है और इस दौरान हुई हिंसा में 60 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की शनिवार को पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात और रविवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुयी बैठकों के बाद घाटी की स्थिति का जायजा लेने के लिए यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया गया है। गृह मंत्री खुद इस प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता करेंगे और यह प्रतिनिधिमंडल राज्य के विभिन्न राजनीतिक तथा सामाजिक संगठनों और विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा। मोदी की अध्यक्षता में गत 13 अगस्त को हुयी सर्वदलीय बैठक में कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के बारे में सहमति बनी थी लेकिन साथ ही यह तय किया गया था कि पहले इस बारे में सीएम मुफ्ती के साथ बातचीत की जायेगी और जमीनी तैयारियों के बाद ही वहां यह प्रतिनिधिमंडल भेजने की तारीख तय की जायेगी।

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