नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि 75 सालों में संविधान कैसे आगे बढ़ा, इसकी भी चर्चा होनी चाहिए। अंबेडकर जी ने कहा कि कोई भी संविधान अच्छे से चल सकता है, उसे चलाने वालों की इच्छा अच्छी हो। हमारे संविधान को अपरिवर्तनशील नहीं माना गया। परिवर्तन इस जीवन का मंत्र है। संविधान संशोधन का प्रावधान किया था। 54 साल के युवा हवा में बात करके कहते हैं संविधान बदल देंगे। इसका प्रावधान संविधान में ही है। 16 साल में हमने 22 परिवर्तन किए। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने सबसे पहला संशोधन 101वां संशोधन किया। हम जीएसटी को लेकर आए और देश के अर्थतंत्र को मजबूत करने का काम किया। दूसरा संशोधन हम 102वां संशोधन लाए। नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक दर्जा देने का काम किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने 16 साल राज किया और 22 बार संविधान में संशोधन किया। वहीं कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 बार संविधान में परिवर्तन किया। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए, लेकिन परिवर्तन का उद्देश्य क्या था?
उन्होंने कहा, इससे पार्टी का संविधान में विश्वाश का पता चलता है। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय संविधान में पहला संशोधन किया गया और 19ए जोड़ा। ये संशोधन अभियक्ति की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कर्टेल करने के लिए किया गया। इसी तरह 24वां संशोधन किया गया और इसके माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकार कम कर दिए गए। इसी तरह कांग्रेस ने सिर्फ अपने उद्देश्य के लिए संविधान में कई संशोधन किए।
अमित शाह ने कांग्रेस को बताया आरक्षण विरोधी
अमित शाह ने कहा कि 1955 में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था। रिपोर्ट कहीं नहीं मिली। अगर काका कालेलकर आयोग की सिफारिशें मान ली गई होतीं तो मंडल आयोग का गठन ही नहीं होता। 1980 में मंडल आयोग की सिफारिशें आईं, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ। 1990 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने पर इसे लागू किया गया।
संविधान के हिसाब से नहीं चलती कांग्रेस: अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान ने तीन चीजों को नहीं स्वीकारा है। परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण नहीं होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस को संविधान के हिसाब से चलने के लिए इन चीजों को छोड़ना पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, "यूसीसी अभी तक क्यों नहीं आया? यह इसलिए नहीं आया क्योंकि संविधान सभा के समाप्त होने और चुनाव खत्म होने के बाद देश के पहले पीएम नेहरू जी ने यूसीसी नहीं, बल्कि मुस्लिम पर्सनल लॉ पेश किया था। मैं इस सदन में कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूं कि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में हर धर्म के लिए एक समान कानून होना चाहिए या नहीं? वे मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन क्यों करते हैं? इससे बड़ा कोई राजनीतिक पैंतरा नहीं हो सकता। उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ लाकर तुष्टिकरण वहीं शुरू कर दिया।"
'धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे': अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है। भले ही भाजपा के पास एक भी सांसद हो, लेकिन वह धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देगी। कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ लाना देश में तुष्टीकरण की राजनीति की शुरुआत थी।
कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं के साथ सालों तक अन्याय किया: अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि हमने ट्रिपल तलाक को खत्म करने के लिए कानून बनाया लेकिन वे कहते हैं कि हमने वोटबैंक के लिए ऐसा किया। ट्रिपल तलाक को खत्म किया जाना चाहिए और शाहबानो को मुआवजा दिया जाना चाहिए- दोनों फैसले सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग समय पर दिए। हमने मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं किया, बल्कि कांग्रेस पार्टी ने कई सालों तक ऐसा किया। ट्रिपल तलाक को खत्म करके हमने उनके अधिकारों को बहाल किया।
संविधान में चित्र हजारों सालों की संस्कृति को दर्शाते हैं: अमित शाह
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के साथी कह रहे थे कि चित्र लगाने का क्या मतलब है। इसके जवाब में मैं कहता हू कि अगर संदेश नहीं ले सकते तो संविधान का क्या मतलब। हमारी हजारों साल पुरानी परंपरा है। जिन लोगों ने चित्रों को निकाल दिया है, उन्होंने धोखा किया है।
संविधान को एक परिवार की जागीर समझा: अमित शाह
अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस को एक परिवार की जागीर समझते ही थे, लेकिन संविधान को भी एक परिवार की जागीर बनाने चले थे। कोई भी काम नियम के मुताबिक नहीं किए। एक भूखंड दे दिया गया, 35ए को बदल दिया गया।
चुनाव में संविधान लेकर घूमते थे, जवाब मिल गया: अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि आम चुनाव में संविधान लहराया गया। संविधान तो एक विश्वास है और इसका सम्मान होना चाहिए। ये लहराने का मुद्दा नहीं है। लोकसभा में, हरियाणा और महाराष्ट्र में जवाब मिल गया। कारण ढूंढ़ते हैं। फर्जी संविधान लेकर घूमते थे।
गलत नियत से किए गए ये चार संशोधन: अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि 1952 में 19ए जोड़ा गया। 24वां संशोधन इंदिरा गांधी के समय हुआ। 39वां भी इंदिरा गांधी के समय ही हुआ। इसे उन्हें चुनाव जिताने के लिए किया गया। फिर 45वां संशोधन आया। इसमें कार्यकाल बढ़ाकर 6 साल का कर दिया। इतनी निर्लजज्ता के साथ संशोधन नहीं हुए। ये चार संशोधन वास्तविकता हैं।