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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): राज्यसभा में 'संविधान' पर बहस आज मंगलवार को भी जारी है। राज्यसभा में बहस दौरान केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर आपातकाल समेत कई मुद्दों को लेकर जमकर हमला बोला। साथ ही कहा कि भारत न केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि यह लोकतंत्र की जननी भी है।

आपातकाल को लेकर नड्डा ने कांग्रेस को दिखाया आईना

नड्डा ने कांग्रेस को आईना दिखाते हुए कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया था, तब देश को कोई खतरा नहीं था बल्कि कुर्सी को खतरा था। आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत हजारों लोगों को जेल में डाला गया। मीसा कानून का जिक्र कर नड्डा ने मीसा भारती का नाम रखने की वजह भी बताई। नड्डा ने विपक्ष के मीडिया का गला घोंटने के आरोपों पर कहा कि कांग्रेस सरकारों में मीडिया का किस तरह गला घोंटा गया कि इसके विरोध में अखबारों के पन्ने खाली छोड़ दिए गए थे।

राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत धारा 35ए बिना संसद की मंजूरी के जोड़ी गई। 35ए ही यह तय करता है कि जम्मू कश्मीर का नागिरक कौन होगा।

अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर नड्डा ने कांग्रेस को घेरा

नड्डा ने कहा कि देश के कई कानून जम्मू कश्मीर में लागू ही नहीं होते थे। देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान हो गए थे।

नड्डा ने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए कई लोग इस देश में प्रधानमंत्री बने, लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसे लोग पंचायत के अध्यक्ष तक नहीं बन सकते थे। जम्मू कश्मीर में पंजाब से सफाई कर्मचारी लाए गए थे और अनुच्छेद 370 के चलते उन सफाई कर्मचारियों के बच्चे सिर्फ सफाई कर्मचारी की नौकरी कर सकते थे न वो डॉक्टर बन सकते थे और न ही इंजीनियर। आज प्रधानमंत्री मोदी की वजह से जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया है।

जेपी नड्डा ने आरक्षण पर बहस की मांग की

जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा, "डॉ. बीआर अंबेडकर ने खुद कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, फिर भी विपक्ष अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए संविधान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है।" नड्डा ने आरक्षण के मुद्दे पर बहस की मांग की, लेकिन विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्ताव का मौखिक रूप से विरोध किया।

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