नई दिल्ली: उत्तर भारत में बुधवार से अचानक मौसम बदला और कोहरा के साथ ठंड महसूस होने लगी। उत्तर में जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ का असर मंगलवार देर रात से दिखने लगा है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में दिखने लगा है। अगले कुछ दिन के बाद दिन में भी सर्दी लोगों को सताएगी। यूपी, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में ठंड बढ़ गई है और आने वाले कई दिनों ठंड बढ़ने के काफी आसार है।
मौसम का मिजाज बता रहा है कि अगले तीन-चार दिनों में तापमान और नीचे जाएगा। हालांकि कड़ाके की ठंड तब भी नहीं पड़ेगी। ठंड का गहरा असर तब होगा जब पहाड़ों में भारी बर्फबारी होगी। मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि दो दिन बाद जब उत्तर-पश्चिम से हवा का बहाव होने लगेगा तो उत्तर के मैदानी इलाकों का तापमान भी धीरे-धीरे गोता लगाने लगेगा।
दिल्ली समेत उत्तर भारत के एक बड़े इलाके को बुधवार को अचानक गहरे स्माग ने घेर रखा है। लोगों ने पहले तो इसे कोहरा समझा, लेकिन यह हकीकत में कोहरा नहीं, धुंध के साथ प्रदूषण का मिश्रण है।
अभी दिल्ली में जो स्माग है, वह गुजरात और राजस्थान की ओर से आने वाली हवा के कारण है।
दिल्ली-पंजाब में एक्यूआई गंभीर श्रेणी में पहुंचा
दिल्ली में बुधवार को पहली बार औसत एक्यूआई गंभीर श्रेणी में पहुंच गया, जो 418 था। वहीं, जहांगीरपुरी में एक्यूआई दिन में 999 तक पहुंच गया था। इसको लेकर बच्चों से लेकर बुजुर्गों पर स्वास्थ्य का खतरा मंडरा रहा है। लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत का तक सामना करना पड़ रहा है।
स्मॉग ने पंजाब को बनाया गैस चैंबर
पराली जलाए जाने से बने घने स्मॉग के कारण मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का विमान लुधियाना में नहीं उतर पाने के अगले दिन बुधवार को भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उलटे स्थिति और खराब हो गई। अत्यधिक स्मॉग होने से राज्य गैस चैंबर बन गया है। स्मॉग की घनी चादर ने राज्य के ज्यादातर शहरों को ढंक लिया है। इस कारण दृष्यता कम होने के साथ ही सांस लेने में भी कठिनाई होने लगी है।
पंजाब में 509 जगह जलाई गई पराली
बुधवार को लुधियाना में एक्यूआइ 500 तक पहुंच गया। राज्य में पराली जलाए जाने की 509 नई घटनाएं सामने आईं। इस तरह अब तक राज्य में पराली जलाने के कुल 7621 मामले सामने आ चुके हैं। स्माग के कारण अमृतसर एयरपोर्ट पर कुछ फ्लाइट देरी से पहुंचीं तथा कुछ रद कर दी गईं।
श्वेत श्रेणी के उद्योगों के लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड की स्वीकृति आवश्यक नहीं: केंद्र
प्रदूषण-रहित उद्योगों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा श्वेत श्रेणी के अंतर्गत आने वाले उद्योगों की स्थापना और संचालन के लिए अब राज्य प्रदूषण बोर्ड की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। श्वेत श्रेणी के अंतर्गत आने वाले उद्योगों में बिस्कुट ट्रे निर्माण जैसे उद्योग आते हैं, जो या तो अत्यधिक कम या बिल्कुल प्रदूषण नहीं फैलाते हैं।