प्रयागराज: प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग के (यूपीपीएससी) बाहर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगी छात्रों के आंदोलन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। आयोग के अध्यक्ष संजय श्री नेत की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में फैसला लिया गया कि एक दिन पीसीएस की परीक्षा एक शिफ्ट में होगी।
आरओ-एआरओ की परीक्षा स्थगित
इसके साथ ही आरओ-एआरओ परीक्षा के के लिए केमिटी गठित की है, आरओ-एआरओ की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। जिनको गिरफ्तार किया गया है उन्हें छोड़ा जा रहा है। सीएम योगी के दखल पर आयोग ने यूपी पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा पहले की तरह एक दिन और एक शिफ्ट में कराने का एलान किया है। आयोग ने पीसीएस के अभ्यर्थियों की मांग मान ली है, हालांकि आरओ-एआरओ 2023 की भर्ती परीक्षा को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। आयोग ने दिसंबर महीने में होने वाली इस परीक्षा को टाल दिया है। परीक्षा पैटर्न तय करने के लिए कमेटी बनाने की बात कही है, प्रदर्शनकारी छात्र आयोग के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।
छात्रों ने आंदोलन जारी रखने का एलान किया है, छात्र इसे डिवाइड एंड रुल बता रहे हैं और हजारों की संख्या में छात्र जमा हैं।
क्या बोले प्रदर्शनकारी छात्र
वहीं आयोग द्वारा सुनाए गए फैसले से छात्र असंतुष्ट हैं, छात्रों का कहना है की फूट डालो और राज करो वाली नीति के तहत आज का फैसला है। इसमें एक वर्ग को संतुष्ट किया गया है एक वर्ग को असंतुष्ट किया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि जब तक आरओ-एआरओ को लेकर के फैसला नहीं आएगा, वह तब तक अपना आंदोलन खत्म करने वाले नहीं है।
क्या बोले अखिलेश यादव
छात्रों के आंदोलन को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि "पढ़ने वाले लोगों को आज आंदोलन करना पड़ रहा है। अधिकारियों के माध्यम से अन्याय हो रहा है, बताओ दिव्यांग बेटी की बैसाखी छीन ली। इन लोगों ने आरोप भी लगाया कि यह राजनीति से प्रेरित आंदोलन है, इसमें समाजवादी संगठन के लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया। लेकिन यह छात्रों का आंदोलन है, सरकार को यह समझना चाहिए।"
नॉर्मलाइजेशन के नाम पर गैर-पारदर्शी व्यवस्था अस्वीकार्य: राहुल गांधी
वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा-"प्रयागराज में प्रतियोगी छात्रों के साथ यूपी सरकार और उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग का रवैया बेहद असंवेदनशील और दुर्भाग्यपूर्ण है। नॉर्मलाइजेशन के नाम पर गैर-पारदर्शी व्यवस्था अस्वीकार्य है और एक पाली में परीक्षा की छात्रों की मांग बिल्कुल न्यायपूर्ण है। शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने में जुटी भाजपा सरकार की अक्षमता की कीमत आख़िर छात्र क्यों चुकायें? ‘पढ़ाई’ करने वाले छात्रों को सड़क पर ‘लड़ाई’ करने को मजबूर कर दिया गया है और अब उनका पुलिस के जरिए उत्पीड़न किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा "अपने और अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए घर से दूर रहकर साधना कर रहे युवाओं के साथ ये अन्याय हम स्वीकार नहीं करेंगे। हम प्रतियोगी छात्रों की मांग का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को तानाशाही से नहीं दबाया जा सकता।"