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नई दिल्ली: कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी सभी फाइलें सार्वजनिक किए जाने की वकालत की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्य शुरू किया है, उससे उनके इरादों को लेकर आशंका पैदा होती है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दावा किया कि कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि वह चाहेगी कि सभी फाइलें सार्वजनिक हों क्योंकि शरारतपूर्ण राजनीतिक अभियान के जरिए देश के लोगों को दिग्भ्रमित करने और विवाद पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शर्मा की टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब प्रधानमंत्री ने नेताजी से जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां उनकी 119वीं जयंती पर जारी कीं। शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने यह सार्वजनिक किया है, उससे मोदी सरकार के इरादों को लेकर संदेह पैदा होता है, देश को यह समझने की जरूरत है।' उन्होंने नेताजी के कुछ रिश्तेदारों की इस टिप्पणी को खारिज कर दिया कि कांग्रेस ने हमेशा नेताजी के बारे में सच्चाई दबाने का प्रयास किया। ' उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताजी के किसी दूर के रिश्तेदार के साथ बहस में नहीं पड़ना चाहती। शर्मा ने दावा किया, 'उनकी अपनी पुत्री द्वारा जो कहा गया है, हम उसका सम्मान करते हैं। नेताजी की सिर्फ एक पुत्री हैं और उन्होंने जो कहा है कि, वह लोगों के सामने है, देश को उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वह जानबूझकर पैदा किए गए इस विवाद से दुखी हैं।' नेताजी की पुत्री अनिता बोस फाफ ने विगत में कहा था कि उनका मानना है कि उनके पिता की मौत 1945 में ताइवान में विमान दुर्घटना में हुयी थी, 'जब तक कि कुछ और साबित नहीं होता हो।' शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सभी मोर्चों पर अपनी सरकार की भारी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे काम कर रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी ने मीडिया को आगाह किया कि नेताजी के मुद्दे पर जवाहर लाल नेहरू को बदनाम करने के लिए, कथित रूप से फर्जी दस्तावेज इंटरनेट पर फैलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेहरू ने आईएनए मामले में 1945-46 में मेजर जनरल शाहनवाज खान, कर्नल सहगल और कर्नल ढिल्लो का बचाव किया था। उन्होंने ऐसे फर्जी दस्तावेजों के प्रकाशन को लेकर चेतावनी दी और कहा कि इसे चुपचाप स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने ऐसे लोगों का पर्दाफाश करने और कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी देते हुए कहा- 'जिन दस्तावेजों को सार्वजनिक किया गया है उनमें 6 फरवरी 1995 का एक कैबिनेट नोट है, जिस पर तत्कालीन गृह सचिव के पद्मनाभैया के हस्ताक्षर हैं। नोट में कहा गया है, 'इस बात के लिए तनिक भी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि उनकी 18 अगस्त 1945 को ताईहोकू में विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। भारत सरकार ने पहले ही इस रुख को स्वीकार कर लिया है। इसका खंडन करने के लिए कोई सबूत नहीं है।' नोट में आगे कहा गया है, 'अगर कुछ व्यक्ति, संगठन अलग राय रखते हैं तो ऐसा लगता है कि वे किसी तर्कसंगत सोच की बजाय भावनात्मक तौर पर अधिक प्रेरित हैं। ऐसे लोगों का यह मानना कि नेताजी जीवित हैं और किसी के भी संपर्क में नहीं हैं, और जरूरत पड़ने पर सामने आएंगे, इसने अब तक अपनी प्रासंगिकता खो दी है।' यह कैबिनेट नोट सरकार के लिए तैयार किया गया था ताकि वह जापान से नेताजी की अस्थियां भारत ला सके। नेताजी की अस्थियों को टोक्यो में बोस अकादमी में रखा गया था।'

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