नई दिल्ली: सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम बनता जा रहा है जिसे नज़रअंदाज़ करना लगभग नामुमकिन सा होता जा रहा है। यही वजह है कि चुनाव आयोग भी देश में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने और चुनावी गतिविधियों पर अपेक्षाकृत पैनी नजर रखने के लिये इस माध्यम का हरसंभव इस्तेमाल करने के बारे में सोच रहा है। चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने राजनीतिक दलों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा ‘हम विचार कर रहे हैं कि मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में सोशल मीडिया का किस तरह सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही, चुनावों के दौरान इस माध्यम पर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की गतिविधियों पर किस तरह अपेक्षाकृत पैनी नजर रखी जा सकती है।’ अपनी बात पूरी करते हुए रावत ने कहा कि चुनावों के दौरान निष्पक्षता और पारदर्शिता का स्तर बढ़ाने के लिये इलेक्ट्रॉनिक ईवीएम के साथ वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवी.पैट) प्रणाली का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। रावत ने कहा 'बिहार के पिछले विधानसभा चुनावों में हमने 36 क्षेत्रों में ईवीएम के साथ वीवी.पैट प्रणाली का इस्तेमाल किया था।
इस प्रणाली की मदद से मतदान के समय मतदाता अच्छी तरह तसल्ली कर सकता है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार के खाते में गया है, जिसके नाम के सामने उसने ईवीएम पर बटन दबाया है।’ उन्होंने बताया कि वीवी.पैट प्रणाली की मदद से ईवीएम में कथित गड़बड़ी की शिकायत की जांच भी की जा सकती है। ईवीएम पर नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) के विकल्प को ‘बिना दांत का शेर’ बताकर इसकी आलोचना पर चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो उसके दांत नहीं होते हैं। बच्चे के दांत जन्म के कुछ समय बाद ही निकलते हैं। नोटा के विकल्प की अभी शुरूआत ही हुई है।’