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नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच सरकार ने अगले वित्त वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को दोगुना से अधिक कर दिया है। अगले वित्त वर्ष में सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र पर 2.2 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा कुछ आयातित उत्पादों पर एक नया कृषि उपकर भी लगाया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करते हुए संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने, देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने तथा कृषि उत्पादों के बाजार की मजबूती के उपायों की घोषणा की। बजट में कपास से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक विभिन्न उत्पादों पर आयात शुल्क भी बढ़ाने की घोषणा की।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने सेवानिवृत्ति कोष (भविष्य निधि कोष) पर कर-मुक्त ब्याज की सीमा को वार्षिक 2.5 लाख रुपये तक सीमित कर दिया है। हालांकि, अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) पर कर छूट देने की घोषणा की है, बशर्ते व्यक्ति ने निर्धारित प्रकार के यात्रा खर्च किए हों।
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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के जरिए न्यू इंडिया का खाका देश के समक्ष रखा। कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि में अभूतपूर्व बजट पेश करते हुए सीतारमण ने हेल्थकेयर, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश के जरिए रोजगार सृजन पर जोर दिया है। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि कोविड-19 संकट के बाद से अबतक सरकार कई मिनी बजट ला चुकी है। सीतारमण द्वारा पेश किया गया यह बजट छह प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। कोरोना महामारी की वजह से इस बार का बजट पेपरलेस हो गया। वित्त मंत्री ने एक टैब के जरिए अपना तीसरा बजट पेश किया।
बजट से जुड़ी खास बातें:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण समाप्त होने के बाद शेयर बाजारों में काफी अधिक तेजी देखने को मिली। दोपहर 01:12 बजे बीएसई सेंसेक्स पर 1,491 अंक यानी 3.22 फीसद के उछाल के साथ 47,776.77 अंक पर ट्रेंड कर रहा था।
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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज आम बजट 2021 पेश करने जा रही हैं। वह टैबलेट में देश का बजट लेकर संसद भवन पहुंच चुकी हैं। आज अपने वादे के मुताबिक- वह 'अलग हटके' बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं। इसमें आम आदमी को राहत दी जाएगी, ये उम्मीद की जा रही है।
कोरोना महामारी के बाद उम्मीद है कि इसमें स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने को लेकर भी इस बजट से उम्मीद की जा रही है। एक अंतरिम बजट समेत ये मोदी सरकार का नौंवा बजट है। इसमें रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिए उदार आवंटन और औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसे डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिए नियमों को आसान किए जाने की उम्मीद की जा रही है। यही नहीं मध्यम वर्ग भी उम्मीद लगाए बैठा कि उसे टैक्स की दरों में कटौती मिलेगी।
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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने गुरुवार को भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार लाना 'अहम कदम साबित हो सकते हैं' लेकिन इन सुधारों के बाद जिन लोगों को नया सिस्टम अपनाने में सबसे ज्यादा दिक्कते होंगी, उनकी मदद करना जरूरी है। आईएमएफ का यह बयान तब आया है, जब शुक्रवार को किसान संगठन, केंद्र सरकार से कानूनों पर नौवें राउंड की बातचीत करने जा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएमएफ के कम्यूनिकेशंस डायरेक्टर गैरी राइस ने वॉशिंगटन में बुधवार को पत्रकारों के सामने कहा कि 'हमारा मानना है कि भारत के कृषि क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में कृषि विधेयक अहम कदम हैं। इन कदमों से किसानों को खरीददार से सीधा संपर्क करने का विकल्प मिलेगा। बिचौलिए की भूमिका को हटाकर वो अपनी उपज पर ज्यादा कमा पाएंगे। इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और ग्रामीण विकास को मदद मिलेगी।' राइस ने कहा कि 'हालांकि, यह बहुत अहम है कि इस नए सिस्टम को अपनाने के दौरान प्रभावित होने वालों की सुरक्षा की जाए।'
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