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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-2022 को लेकर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह बजट आत्मनिर्भर भारत के लिए है। सरकार हर वर्ग के लिए काम कर रही है। सांठगांठ वाले पूंजीवाद का आरोप लगाना बेबुनियाद है।

सीतारमण ने पूंजीपतियों के बजट के विपक्ष के आरोप का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार हर वर्ग के लोगों के लिए काम कर रही है। चाहे वह गरीब हों या फिर उद्यमी। हम पर पर सांठगांठ वाले पूंजीवाद का आरोप लगाना बेबुनियाद है। गांवों में सड़कों का निर्माण, सौभाग्य योजना के तहत हर गांव में बिजली, छोटे किसानों के खातों में पैसा डालने जैसी योजनाएं गरीबों के लिये है न कि पूंजीपतियों के लिए।

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वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में तात्कालिक सहायता के साथ साथ मध्यम और दीर्घ अवधि में सतत आर्थिक वृद्धि बनाये रखने पर ध्यान दिया गया है।

नई दिल्ली: सरकार बजट में घोषित बैंक निजीकरण योजना के कार्यान्वयन के लिए रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बैंकों में अपनी हिस्सेदारी के मैनेजमेंट के लिए कोई बैंक निवेश कंपनी के गठन की योजना नहीं है। 

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह जो बजट पेश हुआ उसमें सीतारमण ने विनिवेश योजना के तहत दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की। इसे लेकर बैंक यूनियनों ने विरोध किया। प्रस्ताव के बारे में सीतारमण ने कहा कि हम आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसके लिए विस्तृत प्रक्रिया पर काम चल रहा है। हालांकि, किस या किन बैंकों को बिक्री के लिये चुना जा रहा है सीतारमण ने ये बताने से इनकार कर दिया। प्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब सरकार इसके लिए तैयार होगी तो हम आपको बता देंगे।

नई दिल्ली: निजीकरण के लक्ष्य को घर के गहने बेचने जैसा बताना बेकार की बात है। पिछली सभी सरकारों ने भी विनिवेश किया है और अब मोदी सरकार ने इसकी स्पष्ट रणनीति तैयार की है कि कौन सी कंपनियों में विनिवेश होना है और किन रणनीतिक क्षेत्रों में हाथ नहीं लगाना है। बजट में विनिवेश का बड़ा लक्ष्य तय करने के बाद से विपक्ष की ओर से लग रहे आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को यह बात कही। बजट में दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी में विनिवेश की बात कही गई है।

वित्त मंत्री ने कहा- घर के गहने बेचने जैसा आरोप गलत

रविवार को उद्यमियों से बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, 'जैसा विपक्ष आरोप लगा रहा है कि घर के गहने बेचे जा रहे हैं, ऐसा नहीं है। घर के जेवर को ठोस बनाया जाता है, इसे हमारी ताकत होनी चाहिए। आपने इतने खराब तरीके से इन पर खर्च किया कि कई सरकारी कंपनियां (पीएसयू) आज चल पाने में भी सक्षम नहीं हैं। कुछ ऐसी कंपनियां है, जो बेहतर कर सकती हैं, लेकिन उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कोरोना लॉकडाउन के दौरान बंद हुई छह फ्रेंकलिन टेंपलटन म्‍युचुअल फंड स्‍कीम के निवेशकों को 20 दिन के अंदर 9,122 करोड़ रुपये की राशि के भुगतान का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा, 'यह राशि फ्रेंकलिन टेंपलटन के पास तैयार रखी है।' अदालत ने मध्‍यस्‍थ के तौर पर एसबीआई म्‍युचुअल फंड्स को यह राशि अमेरिका स्थित कंपनी के यूनिट होल्‍डर्स के बीच बांटने को कहा है। शीर्ष अदालत के न्‍यायाधीशों ने कहा, 'यदि इस प्रक्रिया में कोई परेशानी है तो सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख कर सकते हैं।'

यह आदेश फ्रेंकलिन टेंपलटन की ओर से अपील पर आया है जिसमें उसने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत हाईकोर्ट ने कंपनी की छह स्‍कीम को निवेशकों के साधारण बहुमत के बगैर सहमति पर रोक लगा दी है। यह राशि यूनिट होल्‍डर्स को स्‍कीम में उनकी परिसंपत्तियों पर हासिल ब्‍याज के अनुपात में बांटी जाएगी।

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