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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज आम बजट 2021 पेश करने जा रही हैं। वह टैबलेट में देश का बजट लेकर संसद भवन पहुंच चुकी हैं। आज अपने वादे के मुताबिक- वह 'अलग हटके'  बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं। इसमें आम आदमी को राहत दी जाएगी, ये उम्मीद की जा रही है।

कोरोना महामारी के बाद उम्मीद है कि इसमें स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने को लेकर भी इस बजट से  उम्मीद की जा रही है। एक अंतरिम बजट समेत ये मोदी सरकार का नौंवा बजट है। इसमें रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिए उदार आवंटन और औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसे डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिए नियमों को आसान किए जाने की उम्मीद की जा रही है। यही नहीं मध्यम वर्ग भी उम्मीद लगाए बैठा कि उसे टैक्स की दरों में कटौती मिलेगी।

 

कोरोना से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने वाला बजट

अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह बजट कोरोना महामारी की वजह से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को वापस जोड़ने की शुरुआत होगा। उनका यह भी कहना है कि इस बजट को महज बही-खाते अथवा लेखा-जोखा या पुरानी योजनाओं को नये कलेवर में पेश करने से अलग हटकर होना चाहिये। विशेषज्ञ चाहते हैं कि यह बजट कुछ इस तरीके का हो, जो भविष्य की राह दिखाये और दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाये।

दो महीने पहले ही कॉरपोरेट दरों में की गई कटौती

सोच-समझकर तैयार किया गया बजट भरोसा बहाल करने में लंबी दौड़ का घोड़ा साबित होता है। इसे सितंबर 2019 में पेश मिनी बजट या 2020 में किस्तों में की गयी सुधार संबंधी घोषणाओं से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। सीतारमण के पहले बजट के पेश होने के महज दो महीने बाद कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती की गयी थी।

अर्थव्यवस्था को उठाने की चुनौती

अभी बड़े स्तर पर अर्थशास्त्रियों की आम राय है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में सात से आठ प्रतिशत की गिरावट आने वाली है। यदि ऐसा होता है तो यह विकासशील देशों के बीच सबसे खराब प्रदर्शन में से एक होगा।

सरकार को अर्थव्यवस्था को गर्त से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। अब जबकि महामारी कम संक्रामक होने के लक्षण दिखा रही है और टीकाकरण कार्यक्रम में एक क्रमिक प्रगति हो रही है, यह एक बेहतर भविष्य की आशा को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में एक स्थायी आर्थिक पुनरुद्धार के लिये नीतिगत उत्प्रेरक की आवश्यकता होगी। यहीं पर यह बजट विशेष प्रासंगिक हो जाता है।

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