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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज (मंगलवार) कहा कि सार्वजनिक (पीएसयू) बैंकों में निचले स्तर पर वेतनमान अधिक है लेकिन शीर्ष कार्यकारियों को ‘कम वेतन’ मिलता है। एक तरह से मजाकिया लहजे में राजन ने कहा कि उन्हें तो खुद ‘कम पैसा मिलता है।’ राजन ने सार्वजनिक बैंकों के शीर्ष पदों पर प्रतिभाओं को आकर्षिर्त करने में आ रही दिक्कतों को रेखांकित करते हुए यह बात कही। बैंकिंग सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजन ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की सभी इकाइयों में एक समस्या यह भी है कि आप निचले स्तर पर अधिक वेतन (ओवरपे) देते हैं जबकि शीर्ष पर कम वेतन (अंडर पे) देते हैं। यह सही है कि आपको लगता है कि आप व्यापक जनहित में काम कर रहे हैं लेकिन इससे शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करना मुश्किल हो जाता है।’ राजन ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘मुझे भी लगता है कि पैसा कम मिलता है।’ रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार राजन का कुल मासिक वेतन भुगतान जुलाई 2015 में 1,98,700 रूपये रहा। वित्तीय संस्थानों की सालाना रपटों के अनुसार सार्वजनिक व निजी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के वेतनमान में भारी अंतर है।

नई दिल्ली: वाडिया समूह की विमानन कंपनी गो एयर की अगले वर्ष के शुरू में अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों के लिए उड़ान शुरू करने की उम्मीद है। इसके साथ गो एयर को ईरान, उज्बेकिस्तान और कजाखिस्तान सहित नौ देशों का उड़ान भरने की सरकार से मंजूरी प्राप्त हो गयी है। सरकार के द्वारा भारतीय विमानन कंपनियों के लिए विदेशों के लिए उड़ान भरने के मानदंडों में ढील दिये जाने के दो महीने के बाद मुंबई स्थित इस विमानन कंपनी को मंजूरी प्राप्त हुई है जो लगभग एक दशक से परिचालन में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विमानन कंपनी को ईरान, चीन, वियतनाम, उजबेकिस्तान, कजाखस्तान, अजरबैजान और सउदी अरब सहित,नौ देशों के लिए विमान परिचालन करने की मंजूरी प्राप्त हुई है। गो एयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वॉफगैंग प्रॉक शियुअर ने बताया, हमें नौ देशों के लिए उड़ान भरने की मंजूरी प्राप्त हुई है। हमें अगले गर्मी के शेड्यूल से अंतरराष्ट्रीय परिचालन शुर करने की उम्मीद है।

नई दिल्ली: दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) के देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली पाकिस्तान नहीं जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पाकिस्तान में अच्छा बर्ताव नहीं होने की वजह से उन्होंने वहां नहीं जाने का फैसला किया है। जेटली की जगह आर्थिक मामलों के सचिव शक्ति‍कांत दास भारत की ओर से बैठक में नुमाइंदगी करेंगे। भारत-पाक द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा अशांत माहौल के बीच यह बैठक 25 और 26 अगस्त को इस्लामाबाद में होनी है। पिछले दिनों पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसहाक डार अपने भारतीय समकक्ष से सौहार्दपूर्ण ढंग से हाथ मिला सकते हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा, ‘राजनीतिक कारणों से वित्त मंत्री संभवत: पाकिस्तान नहीं जाएंगे। आप सभी को पता है कि पिछली बार क्या हुआ और क्या हो रहा है।’ उसने इस महीने की शुरुआत में राजनाथ सिंह की इस्लामाबाद यात्रा का जिक्र किया जो दक्षेस मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लेने के लिये गये थे। सिंह और पाकिस्तान के गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान के बीच तीखा संवाद हुआ था दोनों ने दक्षेस बैठक के दौरान बमुश्किल हाथ मिलाया था। पाकिस्तानी अधिकारियों ने दूरदर्शन के प्रतिनिधियों समेत भारतीय मीडियाकर्मियों को इस्लामाबाद में दक्षेस के गृहमंत्रियों की सातवीं बैठक के दौरान सम्मेलन स्थल के अंदर नहीं जाने दिया था। गौर हो कि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सार्क देशों के गृह मंत्रियों की बैठक के लिए पाकिस्‍तान होकर आए हैं। वहां उनके साथ अच्‍छा बर्ताव नहीं हुआ।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने के लिए पीएफआरडीए ने इस योजना में न्यूनतम वार्षिक अंशदान को उल्लेखनीय रूप से घटाकर 1,000 रूपए कर दिया। साथ ही नियामक ने लोगों से इस योजना में यथासंभव बराबर अच्छी राशि का योगदान करने की सलाह दी है ताकि सेवानिवृत्ति के समय उन्हें एक अच्छी पेंशन हासिल हो सके। एनपीएस के प्रथम श्रेणी के खातों को परिचालन में बनाए रखने के लिए अब तक हर वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) में कम से कम 6,000 रूपए का योगदान अनिवार्य था। एनपीएस का गठन दो श्रेणियों में किया गया है। प्रथम श्रेणी स्थानीय सेवानिवृत्ति खाता है जिससे पहले पैसा नहीं निकाला जा सकता है और इस खाते में राशि जमा की जाती है तथा अंशदाता के विकल्प के आधार पर निवेश किया जाता है। दूसरी श्रेणी के खातों में स्वैच्छिक निकासी की सुविधा है जिसमें एक बचत खाता भी खोला जाता है। दूसरी श्रेणी की पेंशन योजना में बचत खाते में वर्ष के अंत में न्यूनतम 2,000 रूपए के अधिशेष के साथ-साथ 250 रूपए का वार्षिक अंशदान अनिवार्य था। अब इसमें में 2,000 रूपए के न्यूनतम अधिशेष और 250 रूपए के न्यूनतम अंशदान की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला किया गया है।

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