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संयुक्त राष्ट्र: केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने न्यूयार्क में 'वैश्विक खाद्य सुरक्षा-काल टू एक्शन' पर उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि कोविड वैक्सीन की तरह गेहूं की किल्लत न हो। इससे खाद्य कीमतों में "अनुचित वृद्धि" के बीच जमाखोरी हो सकती है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि "कई कम आय वाले समाज आज बढ़ती लागत और खाद्यान्न तक पहुंच में कठिनाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि भारत जैसे देशों के पास, जिनके पास पर्याप्त स्टॉक है, उन्होंने भी खाद्य कीमतों में अनुचित वृद्धि देखी है। साफ है कि जमाखोरी, कयासबाजी का काम चल रहा है। हम इसे बिना किसी चुनौती के पारित नहीं होने दे सकते।
उच्च स्तरीय बैठक में, भारत ने 13 मई की घोषणा के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र में गेहूं निर्यात प्रतिबंध के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक हुई वृद्धि को मान्यता दी है, जिसने "हमारी खाद्य सुरक्षा और हमारे पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।"
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कोलंबो: श्रीलंका ने बुधवार को कहा कि उसके समुद्री क्षेत्र में लगभग दो महीने से पेट्रोल लदा जहाज खड़ा है लेकिन भुगतान करने के लिए उसके पास विदेशी मुद्रा नहीं है। हालांकि, सरकार ने कहा कि देश के पास डीजल का पर्याप्त भंडार है। आनलाइन पोर्टल न्यूजफर्स्ट डाट एलके की रिपोर्ट के अनुसार, बिजली व ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकेरा ने संसद को बताया कि 28 मार्च से श्रीलंकाई समुद्री क्षेत्र में पेट्रोल से लदा एक जहाज लंगर डाले हुए है। लेकिन, उसे भुगतान के लिए श्रीलंका के पास डालर उपलब्ध नहीं है।
इसके अलावा जनवरी 2022 में पिछली खेप के लिए उसी पोत की 5.3 करोड़ डालर की राशि भी बकाया है। मंत्री ने कहा कि शिपिंग कंपनी ने दोनों भुगतानों का निपटारा होने तक जहाज को छोड़ने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा, 'यही कारण है कि हमने लोगों से अनुरोध किया कि वे ईंधन के लिए लाइन में इंतजार न करें। डीजल को लेकर कोई समस्या नहीं है। हमारे पास पेट्रोल का सीमित स्टाक है और इसे आवश्यक सेवाओं, विशेष रूप से एंबुलेंस के लिए वितरित करने की कोशिश कर रहे हैं।'
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कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को संसद ने आज खारिज कर दिया है। विपक्षी पार्टी तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के सांसद एम ए सुमंथिरन संसद में राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।
राष्ट्रपति गोटबाया के पक्ष में 119 सांसदों ने वोट किया, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 68 सांसदों ने वोट किया। इस तरह से संसद में अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। टीएनए सांसद द्वारा राजपक्षे को लेकर नाराजगी जताने वाले मसौदे पर बहस के लिए संसद के स्थायी आदेशों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था।
17 मई को इस मामले में श्रीलंका की संसद में बहस होनी थी। गुरुवार को राष्ट्रपति राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की पुष्टि स्पीकर कार्यालय ने की थी। पार्टी नेताओं की बैठक में यह फैसला किया गया था। जानकारी के मुताबिक, प्रस्ताव को संसद में विशेष मंजूरी मिली। जिसके बाद प्रस्ताव को बहस के लिेए लाया गया।
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बर्लिन/स्टाकहोम: यूक्रेन पर रूस के हमले के करीब तीन महीने बीतने वाले हैं और यह जंग किसी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाई है। इस बीच रूस के लिए एक और चुनौती स्वीडन और फिनलैंड बढ़ाने वाले हैं। रूस के साथ सीमा साझा करने वाले दोनों देशों ने नाटो की सदस्यता लेने का एलान कर दिया है। अब दोनों देशों की संसद इस संबंध में प्रस्ताव पारित करेगी और फिर नाटो संगठन के समक्ष आवेदन पेश किया जाएगा। कहा जा रहा है कि यह पूरी प्रक्रिया दो सप्ताह में पूरी हो सकती है। इस बीच रूस ने स्वीडन और फिनलैंड के प्लान को लेकर धमकी दी है कि यह गलती होगी और उसके परिणाम भी भुगतने पड़ेंगे।
माना जा रहा है कि रूस की धमकी के चलते अब नाटो दोनों देशों को शामिल करने में तेजी लाएगा ताकि किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई में उन्हें मदद कर सके। बता दें कि नाटो संगठन के तहत सभी देश एक-दूसरे को सुरक्षा की गारंटी देते हैं कि किसी दूसरी ताकत की ओर से यदि किसी एक पर भी अटैक किया जाता है तो सभी मिलकर जवाब देंगे। ऐसे में फिनलैंड और स्वीडन तक नाटो का पहुंचना रूस के लिए बड़ा सिरदर्द होगा।
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