संयुक्त राष्ट्र: केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने न्यूयार्क में 'वैश्विक खाद्य सुरक्षा-काल टू एक्शन' पर उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि कोविड वैक्सीन की तरह गेहूं की किल्लत न हो। इससे खाद्य कीमतों में "अनुचित वृद्धि" के बीच जमाखोरी हो सकती है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि "कई कम आय वाले समाज आज बढ़ती लागत और खाद्यान्न तक पहुंच में कठिनाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि भारत जैसे देशों के पास, जिनके पास पर्याप्त स्टॉक है, उन्होंने भी खाद्य कीमतों में अनुचित वृद्धि देखी है। साफ है कि जमाखोरी, कयासबाजी का काम चल रहा है। हम इसे बिना किसी चुनौती के पारित नहीं होने दे सकते।
उच्च स्तरीय बैठक में, भारत ने 13 मई की घोषणा के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र में गेहूं निर्यात प्रतिबंध के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक हुई वृद्धि को मान्यता दी है, जिसने "हमारी खाद्य सुरक्षा और हमारे पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।"
उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि खाद्य सुरक्षा पर इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम किया जाए।"
उन्होंने कहा, "अपनी समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए, हमने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की है।
"मैं यह स्पष्ट कर दूं कि ये उपाय उन देशों को अनुमोदन के आधार पर निर्यात की अनुमति देते हैं, जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करना आवश्यक है। यह संबंधित सरकारों के अनुरोध पर किया जाएगा। ऐसी नीति सुनिश्चित करेगी कि हम वास्तव में उन लोगों को जवाब दें जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है।"
वहीं इस बैठक पर एक ट्वीट करते हुए विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लिखा कि महामहिम की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र में मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेकर खुश हूं। भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में अपनी उचित भूमिका निभाएगा, जिसमें वे समानता बनाए रखेगा, करुणा प्रदर्शित करेगा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा।