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कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को संसद ने आज खारिज कर दिया है। विपक्षी पार्टी तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के सांसद एम ए सुमंथिरन संसद में राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।

राष्ट्रपति गोटबाया के पक्ष में 119 सांसदों ने वोट किया, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 68 सांसदों ने वोट किया। इस तरह से संसद में अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। टीएनए सांसद द्वारा राजपक्षे को लेकर नाराजगी जताने वाले मसौदे पर बहस के लिए संसद के स्थायी आदेशों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था।

17 मई को इस मामले में श्रीलंका की संसद में बहस होनी थी। गुरुवार को राष्ट्रपति राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की पुष्टि स्पीकर कार्यालय ने की थी। पार्टी नेताओं की बैठक में यह फैसला किया गया था। जानकारी के मुताबिक, प्रस्ताव को संसद में विशेष मंजूरी मिली। जिसके बाद प्रस्ताव को बहस के लिेए लाया गया।

पार्टी नेताओं ने प्रस्ताव को लेकर संसद परिसर में बैठक की। जिसके बाद राष्ट्रपति महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा था कि जब नेताओं द्वारा प्रस्ताव तैयार कर लिया जाएगा तो उसे राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा। इसके अलावा एक स्थिर सरकार के गठन और संसद सदस्यों की सुरक्षा का प्रस्ताव भी राष्ट्रपति राजपक्षे को सौंपा जाएगा।

सत्तारूढ़ पार्टी के अजित राजपक्षे को चुना गया संसद का उपाध्यक्ष

मंगलवार को तीखी नोकझोंक के बाद श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद अजित राजपक्षे को सदन का उपाध्यक्ष चुना गया है। श्रीलंका पोडुजना पेरामुना पार्टी (एसएलपीपी) के 48 वर्षीय राजपक्षे को एक गुप्त मतदान के जरिए कराए गए चुनाव में सदन का उपाध्यक्ष चुना गया।

अजित राजपक्षे को 109 वोट मिले, जबकि समागी जन बालवेग्या की उम्मीदवार रोहिणी कविरत्रा को 78 वोट मिले। अध्यक्ष महिंद्रा यापा ने अभयवर्धन ने 23 वोटो को खारिज कर दिया। ज्यादातर सांसदों ने गुप्त मतदान कराने का विरोध किया। कई सांसदों ने वोट के खिलाफ बोलते हुए दावा किया कि यह संसद के बहुमूल्य समय की बर्बादी है।
विपक्ष, सरकार और अध्यक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। अध्यक्ष अभयवर्धन ने कहा कि उन्हें सदन के नियमों का पालन करना होगा। सर्वसम्मति पर बात ना बनने पर अध्यक्ष अभयवर्धन ने गुप्त मतदान कराने का फैसला किया।

बता दें कि विक्रमसिंघे को श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री चुनने और महिंद्रा राजपक्षे के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद संसद की यह पहली बैठक थी। संसद में महिंदा राजपक्षे और उनके बेटे नमल दोनों अनुपस्थित थे, जबकि बासिल राजपक्षे और शशिंद्र राजपक्षे राजपक्षे परिवार के अन्य सदस्य संसद में उपस्थित थे।

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