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कराकस: वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ घृणा अभियान की निंदा करते हुए कहा है कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का प्रशासन बराक ओबामा से ‘बुरा’ नहीं होगा। मादुरो ने संवाददाताओं से कहा, ‘बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने काफी कयास लगाए हैं। हम अमेरिका में, पश्चिमी दुनिया में, पूरी दुनिया में डोनाल्ड ट्रंप- निर्दयी- के खिलाफ घृणा मुहिम से हैरान हैं।’राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की विदेश नीति पर कोई निर्णय लेने से पहले उनके शुक्रवार को व्हाइट हाउस का कार्यभार संभालने का इंतजार करेंगे। मादुरो ने कहा, ‘मैं सावधानी बरतना चाहता हूं। मैं केवल यही कहना चाहूंगा कि वह ओबामा से बुरे नहीं होंगे।’उन्होंने कहा कि वह ‘वैश्विक भूराजनीति में बड़े बदलाव’ होते भांप रहे हैं। उन्होंने ‘सम्मान, संवाद एवं सहयोग के संबंध स्थापित’ किए जाने की इच्छा व्यक्त की। वेनेजुएला बढ़ते अपराध, बढ़ती महंगाई एवं अर्थव्यवस्था की तेजी से खराब होती हालत से जूझ रहा है। तेल के दाम गिरने से हालात और भी खराब हो गए हैं। विपक्ष इसके लिए मादुरो की आर्थिक नीतियों एवं कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराता है जबकि राष्ट्रपति का कहना है कि यह अमेरिका के समर्थन वाले पूंजीवादी षडयंत्र का परिणाम है।
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आज भारत को चेतावनी दी कि अगर उसने उसके देश के भीतर लक्षित हमले करने का दुस्साहस किया तो ‘माकूल जवाब’ दिया जाएगा। आसिफ ने यह भी दावा किया कि भारत पाकिस्तान के साथ न तो बातचीत की प्रक्रिया जारी रखना चाहता है और न ही तनाव घटाना चाहता है। आसिफ ने सीनेट के सत्र के दौरान कहा, ‘‘अगर भारत लक्षित हमले करता है तो उसे ऐसा जवाब दिया जाएगा, जिसके बारे में उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा।’’ वह सीनेटर सहर कामरान द्वारा नियंत्रण रेखा और अस्थायी सीमा पर संघर्ष विराम के कथित उल्लंघनों से पैदा हुई स्थिति के संबंध में पेश किए गए प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारत ने पाकिस्तान के भीतर लक्षित हमले करने का दुस्साहस किया तो माकूल जवाब दिया जाएगा।’’ उन्होंने लक्षित हमलों के भारत के दावों को ‘निराधार और गलत’ बताया। रेडियो पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने दावा किया कि भारत कश्मीर में उग्रवाद को सीमा पार घुसपैठ और आतंकवाद से जोड़ने का विफल प्रयास कर रहा है। आसिफ ने दावा किया कि भारत ने पिछले साल दिसंबर तक नियंत्रण रेखा पर 290 और अस्थायी सीमा पर 40 समेत कुल 330 संघर्ष विराम उल्लंघन किए। उन्होंने कहा कि उल्लंघनों में 45 पाकिस्तानी असैनिक मारे गए और 138 घायल हुए। उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद उल्लंघनों की आवृत्ति घटी है। आसिफ ने कहा कि उल्लंघनों का देश के सशस्त्र बलों ने प्रभावी तरीके से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इन उल्लंघनों की जानकारी नियंत्रण रेखा और अस्थायी सीमा पर संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह को जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र को दी गई। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने कूटनीतिक और द्विपक्षीय स्तरों पर भी इस मुद्दे को उठाया।
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वाशिंगटन: व्हाइट हाउस में काम कर चुके एक पूर्व भारतीय-अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि ओमाबा प्रशासन के लिए दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान और पाकिस्तान सर्वोच्च प्राथमिकता थे भारत नहीं, लेकिन निवर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल में भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध ‘उंचाई’ पर हैं। व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् के दक्षिण एशिया मामलों के पूर्व वरिष्ठ निदेशक अनीश गोयल ने कहा कि ये (भारत-अमेरिका संबंध) बेहद उंचे स्तर पर समाप्त हो रहे हैं। इस पद पर रहते हुए गोयल ने ओबामा प्रशासन के पहले दो वषरें में भारत-अमेरिका संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नवंबर 2009 में अपनी पहली राजकीय यात्रा पर अमेरिका आए और एक साल बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत यात्रा पर गए। अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक ‘न्यू अमेरिका फाउंडेशन’ में वरिष्ठ दक्षिण एशिया शोधार्थी गोयल का कहना है कि भारत-अमेरिका के संबंधों में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं। ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरूआती दो वषरें में भारत डेस्क के प्रमुख रहे गोयल का कहना है, इसकी शुरूआत बहुत मजबूत हुई और फिर मुझे लगता है कि सबको मालूम है कि 2011, 2012 और 2013 के दौरान संबंधों में खटास आ गयी थी। उस दौरान दोनों पक्षों के प्रशासनिक अधिकारियों ने एक-दूसरे की खूब आलोचना की थी। उन्होंने रेखांकित किया, डब्ल्यूटीओ में मुकदमे दर्ज कराए गए, भारत ने उन कदमों को अवरूद्ध किया जो अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण थे, और सबसे बड़ी बात देवयानी खोबरागड़े कांड, जिसने वाकई संबंधों को बिगाड़ दिया था। वह ऐसा वक्त था, जब सभी के दिमाग में यही चल रहा था कि क्या संबंध बेहतर हो सकते हैं या फिर दोनों देशों के बीच सबकुछ ऐसा ही चलता रहेगा।
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फ्रैंकफर्ट: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अखबार को दिए गए एक साक्षात्कार में नाटो गठबंधन को अप्रासंगिक बताते हुए शिकायत की कि यह संधि आतंकवाद की परवाह नहीं करती है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने जर्मनी के टैबलॉयड बिल्ड और द टाइम्स ऑफ लंदन के आज के संस्करण के लिए दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि मैंने बहुत पहले ही कहा था कि नाटो की बहुत सारी समस्याएं हैं। पहली समस्या तो यह है कि यह अप्रासंगिक हो चुका है क्योंकि कई साल पहले इसे तैयार किया गया था। हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि उनके लिए नाटो अभी भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कही गई अपनी बात दोहराते हुए कहा कि कुछ नाटो गठबंधन सहयोगी समुचित तरीके से ध्यान नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कई देश उतनी मात्रा में धन नहीं दे रहे हैं जितना उन्हें देना चाहिए और यह अमेरिका के लिए अच्छा नहीं है। ट्रम्प ने कहा कि केवल पांच देश ही वह राशि दे रहे हैं जो उन्हें देना चाहिए। केवल पांच देश और यह पर्याप्त नहीं है। नाटो देशों की ओर से खर्च होने वाले कुल धन का 70 फीसदी हिस्सा अमेरिका वहन करता हैं। अगर नाटो के किसी भी सदस्य देश पर हमला होता है तो वह एक-दूसरे की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस आत्म रक्षा वाले उपबंध का उपयोग इतिहास में सिर्फ एक बार अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद हुआ था।
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