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वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रम्प को एक ‘बदला हुआ प्रत्याशी’ बताते हुए लोगों को आगाह किया कि भावी राष्ट्रपति को वे हल्के में नहीं लें। बहरहाल, उन्होंने यह स्वीकार किया कि यह एक असाधारण सत्ता परिवर्तन होगा। ओबामा ने बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति ‘सीबीएस न्यूज’ को दिए अपने अंतिम साक्षात्कार में कहा, ‘वह (ट्रम्प) एक बदले हुए उम्मीदवार हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या कोई वॉशिंगटन को बदल सकता है, ओबामा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अमेरिकी लोग वॉशिंगटन को बदल सकते हैं।’ 55 वर्षीय निवर्तमान राष्ट्रपति ने कहा, ‘लेकिन मेरा मानना है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है क्योंकि उंचे पद पर बैठा कोई व्यक्ति बदलाव के लिए निर्देश देता है। संसद के गलियारे के दोनों पक्ष के सदस्य सभी तरह के मुद्दों से प्रेरित हैं।’ ओबामा ने कहा, ‘वे बेहद गंभीरता से अर्थव्यवस्था, आतंकवाद, सामाजिक मुद्दों में रूचि ले रहे हैं। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात ये है कि वे फिर से निर्वाचित होने में भी रूचि रखते हैं और अगर वे यह सोचते कि एक दूसरे के सहयोग से फिर से निर्वाचित होना उनके लिए मुश्किल होगा तो वे सहयोग नहीं करते।’ चुनाव प्रचार पर ध्यान आकृष्ट करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ट्रम्प स्पष्ट रूप से शिकायतों के अंबार से निपटने में सक्षम हैं। अरबपति से नेता बने ट्रम्प के बारे में ओबामा ने कहा, ‘उनके पास अपने समर्थकों से रिश्ता कायम करने की प्रतिभा है जो आपके चुनाव प्रचार या आपको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के कुछ पारंपरिक मानदंडों से अलग है।’ अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने जा रहे ट्रम्प के हर दिन के कई ट्वीट्स का उल्लेख करते हुए ओबामा ने कहा, ‘यह देखना रोचक होगा कि उनके राष्ट्रपति काल में यह कैसे जारी रहेगा।

कराची: चीन ने ग्वादर बंदरगाह और 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के तहत आने वाले व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी नौसेना को दो पोत सौंपे हैं। समाचार चैनल ‘डॉन न्यूज’ के अनुसार सीपेक के समुद्री मार्ग की साझा सुरक्षा के लिए कल पाकिस्तानी नौसेना को दो पोत सौंपे गए। पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में पड़ने वाले ग्वादर बंदरगाह को सीपेक के तहत विकसित किया जा रहा है जो पश्चिमी चीन को वाया पाकिस्तान पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप से जोड़ने का काम करेगा। ‘हिंगोल’ और ‘बासोल’ नामक दो पोत पाकिस्तानी नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी वायस एडमिरल आरिफुल्ला हुसैनी के सुपुर्द किए गए। हाल ही में चीन में निर्मित ये पोत पाकिस्तानी नौसेना का हिस्सा होंगे और इनका इस्तेमाल अरब सागर में समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए किया जाएगा। इन पोतों को सौंपे जाने के मौके पर ग्वादर में एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें चीन के कई अधिकारी मौजूद थे। पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी के महानिदेशक रियर एडमिरल जमील अख्तर, कमांडर :पश्चिम: कोमोडार मोहम्मद वारिस और वरिष्ठ नौसेन्य एवं असैन्य अधिकारी इस मौके पर उपस्थित थे।

वॉशिंगटन: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रवासी विरोधी रूख, अमेरिका मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के उनके इरादे और देश में आ रहे मुस्लिमों के खिलाफ विचारों को लेकर उनकी आलोचना करते हुए प्रदर्शनकारियों ने पूरे अमेरिका में रैलियां आयोजित कीं और प्रवासी अधिकारों के प्रति समर्थन जताया। मेरीलैंड के डेमोक्रेट सेन क्रिस वान हॉलेन ने कल एक ऐसी ही रैली के दौरान वाशिंगटन स्थित ऐतिहासिक अफ्रीकन अमेरिकन चर्च में कहा, ‘हम ट्रम्प को स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को खत्म करने की अनुमति नहीं देंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा देश ऐसे लोगों का देश है जिन्हें धर्म या पृष्ठभूमि से कोई लेनादेना नहीं है और न ही वह इस बात से सरोकार रखते हैं कि आप किसे पसंद करते हैं।’ वॉशिंगटन, शिकागो, लॉस एंजिलिस, सैन जोस, कैलिफोर्निया सहित देश के विभिन्न हिस्सों में कल ऐसी दर्जनों रैलियां निकाली गईं। शिकागो में प्रवासी अधिकारों के प्रति समर्थन जताने के लिए 1000 से अधिक लोग एक सभागार में एकत्र हुए। ‘यूनाइटेड कांग्रेस ऑफ कम्युनिटी एंड रिलीजियस ऑर्गनाइजेशन्स’ के कार्यकारी निदेशक एवं एक चर्च के पादरी रॉन टेलर ने कहा, ‘आने वाले कल में क्या होगा, इस बात को दरकिनार कर यह ध्यान में रखना चाहिए कि अच्छाई की हमेशा बुराई पर जीत होती है और हम आप सभी से यह कहना चाहते हैं कि आप अकेले नहीं हैं।’

वॉशिंगटन: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह रूस पर लगे प्रतिबंधों को हटा सकते हैं तथा जबतक चीन अपनी मुद्रा और व्यापार पद्धतियों को नहीं सुधारता तबतक वह ‘वन चाइना’ नीति के साथ खड़े नहीं रहेंगे। ट्रंप ने वाल स्ट्रीट जनरल में शुक्रवार को प्रकाशित हुए साक्षात्कार में कहा कि अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने के लिए रूस द्वारा किए गए कथित साइबर हमले के आलोक में पिछले महीने राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने पिछले महीने रूस पर जो पाबंदिया लगायी थीं, वह कुछ समय उन्हें यूं ही रखेंगे। उन्होंने कहा कि यदि रूस हिंसक चरमपंथ से संघर्ष जैसे अहम लक्ष्यों के संबंध में अमेरिका की मदद करता हे तो वह इन दंडात्मक कदमों को हटा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद के शपथग्रहण के बाद रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मिलने को तैयार हैं। ट्रंप को इस्लामिक स्टेट जैसे जिहादी संगठनों के साथ संघर्ष में मास्को के सहयोग का मौका नजर आता है।

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