वाशिंगटन: व्हाइट हाउस में काम कर चुके एक पूर्व भारतीय-अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि ओमाबा प्रशासन के लिए दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान और पाकिस्तान सर्वोच्च प्राथमिकता थे भारत नहीं, लेकिन निवर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल में भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध ‘उंचाई’ पर हैं। व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् के दक्षिण एशिया मामलों के पूर्व वरिष्ठ निदेशक अनीश गोयल ने कहा कि ये (भारत-अमेरिका संबंध) बेहद उंचे स्तर पर समाप्त हो रहे हैं। इस पद पर रहते हुए गोयल ने ओबामा प्रशासन के पहले दो वषरें में भारत-अमेरिका संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नवंबर 2009 में अपनी पहली राजकीय यात्रा पर अमेरिका आए और एक साल बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत यात्रा पर गए। अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक ‘न्यू अमेरिका फाउंडेशन’ में वरिष्ठ दक्षिण एशिया शोधार्थी गोयल का कहना है कि भारत-अमेरिका के संबंधों में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं। ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरूआती दो वषरें में भारत डेस्क के प्रमुख रहे गोयल का कहना है, इसकी शुरूआत बहुत मजबूत हुई और फिर मुझे लगता है कि सबको मालूम है कि 2011, 2012 और 2013 के दौरान संबंधों में खटास आ गयी थी। उस दौरान दोनों पक्षों के प्रशासनिक अधिकारियों ने एक-दूसरे की खूब आलोचना की थी। उन्होंने रेखांकित किया, डब्ल्यूटीओ में मुकदमे दर्ज कराए गए, भारत ने उन कदमों को अवरूद्ध किया जो अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण थे, और सबसे बड़ी बात देवयानी खोबरागड़े कांड, जिसने वाकई संबंधों को बिगाड़ दिया था। वह ऐसा वक्त था, जब सभी के दिमाग में यही चल रहा था कि क्या संबंध बेहतर हो सकते हैं या फिर दोनों देशों के बीच सबकुछ ऐसा ही चलता रहेगा।
गोयल ने कहा कि लेकिन अब यह अच्छी स्थिति में है। उस वक्त से अब तक संबंधों में वाकई सुधार आया है। पिछले दो वषरें में हुई गतिविधियां बहुत अच्छी रही हैं। इसका श्रेय दोनों पक्षों को जाता है। ओबामा प्रशासन आगे बढ़ने को तैयार था।