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लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को पुलिस ने जब जबरन हटाने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारी महिलाएं उग्र हो गईं। उन्होंने जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान पुलिसकर्मियों से कुछ धक्का-मुक्की भी हुई। दरअसल, कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए एक साथ बड़ी संख्या में लोगों का एक जगह एकत्र होना खतरनाक माना जा रहा है। इससे संक्रमण फैलने का भी खतरा है जिसे देखते हुए पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की पर बात नहीं बनीं। हालांकि, पुलिस ने सड़क पर खड़े लोगों को हटा दिया है।

प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि पुलिस बिस्तर और तम्बू उठा ले गई है। वहीं इस पूरे मामले पर एडीसीपी विकास चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि कई लोग अनावश्यक रूप से खड़े थे और बाइक खड़ी कर रखी थी। इस कारण यातायात प्रभावित हो रहा था। पुलिस की टीम ने इसे ही हटवाया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कर रही महिलाओं को नहीं हटाया जा रहा है।

 

सीएए के खिलाफ यह प्रदर्शन 17 जनवरी को शुरू हुआ था, जो जिला प्रशासन के कड़े विरोध के बाद भी जारी है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं को पुलिस ने नोटिस भी भेजा है। उनसे जल्द से जल्द घंटाघर का परिसर खाली करने को कहा गया है, अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। धारा 144 का उल्लंघन करने पर कार्रवाई के लिए नोटिस भेजा गया है।

बता दें कि सीएए के खिलाफ घंटाघर पर पिछले करीब दो महीने से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। उनका कहना है कि वह तभी हटेंगी जब सरकार इस कानून को वापस ले लेगी लेकिन सरकार ने एक इंच भी पीछे न हटने की बात कहते हुए अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। पिछले दिनों एक चैनल को दिए गए साक्षात्कार में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी स्पष्ट कर दिया था राज्य सरकार प्रदर्शनकारियों को बिल्कुल बात नहीं करेगी।

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