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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास भले ही किया हो, लेकिन इसके हृदयस्थल झांसी को इससे अलग रखा गया है। अचरज की बात है कि झांसी छोड़कर भाजपा सरकार इटावा पर मेहरबानी दिखा रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे इटावा से जुड़ने पर सैफई के पास से भी गुजरेगा। सैफई से जबर्दस्त एलर्जी दिखाने वाली भाजपा में अचानक इतनी रहमदिल क्यों है?

अखिलेश ने जारी बयान में कहा है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे छह लेन सड़क होगी, लेकिन यह नहीं पता कि वहां सर्विस लेन होगी या नहीं। वहां पुल-पुलिया बनेंगी या नहीं? अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार करेंगे या नहीं? इसके रास्ते को मंडियों से जोड़ने का भी इरादा है या नहीं? आखिर इसमें डिवाईडर कितने हैं? रोड कांग्रेस के इस सबके लिए मानक तय हैं, इन मानकों की चर्चा क्यों नहीं? सच तो यह है कि भाजपा सरकार अब तक अपनी एक भी बड़ी योजना लागू नहीं कर पाई है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को बनाना ही है, तो आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे जैसा बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर नकल ही करनी है तो पूरी नकल कर लेते। डिफेंस कारिडोर बनाने का एलान बड़े जोरशोर से किया गया, लेकिन यह नहीं मालूम कि उसके लिए कितनी जमीन बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के पास होगी या दूर होगी? समाजवादी पार्टी ने चुनाव घोषणा पत्र में झांसी से सिद्धार्थनगर तक एक्सप्रेस-वे बनाने का वादा किया था। भाजपा सरकार ने अभी तक तो बुंदेलखंड के लिए कुछ किया नहीं। वहां पेयजल के अभाव, किसानों की कर्ज से मजबूरी में आत्महत्या, अवैध खनन, बढ़ते अपराध की समस्याओं के निराकरण के लिए भाजपा सरकार अपना कोई रोड मैप नहीं बना सकी है।

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