अयोध्या: केन्द्र सरकार की ओर से नवगठित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों के नामों की घोषणा ने अयोध्या के संतों को अचम्भे में डाल दिया। उम्मीद के विपरीत चयनित नामों को देखकर समझ में ही नहीं आया कि केन्द्र सरकार की ओर से नामित ट्रस्टियों को लेकर क्या चयन प्रक्रिया रही होगी। फिलहाल राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े अयोध्या के संतों की उपेक्षा ने उनमें अंदर हर अंदर उबाल पैदा कर दिया। गुरुवार की सुबह होते यह गुस्सा बाहर फूट पड़ा।
मणिराम छावनी के पीठाधीश्वर एवं श्रीरामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के समर्थक साधु बाहर निकल पड़े और उन्होंने मीडिया के समक्ष आकर बयानबाजी के साथ नारेबाजी भी शुरू कर दी। इस दौरान नाराज संत-महंत एक-एक कर मणिराम छावनी पहुंचने लगे। इन्हीं संतों में दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास भी शामिल थे। इन संत-महंतों ने न्यास अध्यक्ष के अलावा उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने भी वार्ता की। इसके बाद तय हुआ कि दोपहर तीन बजे मणिराम छावनी में संत समुदाय की बैठक कर सामूहिक विरोध की रणनीति तय की जाएगी।
इस निर्णय की सूचना स्थानीय अफसरों ने शासन के उच्चाधिकारियों को दी। इसके बाद लगातार संतों के फोन घनघनाते रहे और वार्ता का दौर चलता रहा। इस वार्ता का परिणाम यह हुआ कि संत समुदाय की बैठक मणिराम छावनी के बजाए दिगम्बर अखाड़ा में निर्धारित कर दी गई।
अयोध्या विधायक व महापौर को उल्टे पांव लौटना पड़ा
इस बीच भाजपा के अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्त अपने साथ महापौर ऋषिकेश उपाध्याय व महानगर भाजपा अध्यक्ष अभिषेक मिश्र को लेकर मणिराम छावनी पहुंच गए। उनके पहंुचते ही न्यास अध्यक्ष के नाराज समर्थकों ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया बल्कि उन्हें उल्टे पांव वापस भेज दिया। विधायक श्री गुप्त बार-बार अनुरोध करते रहे वह बड़े महाराज जी से भेंट करना चाहते हैं लेकिन समर्थकों ने उनकी एक नहीं सुनी। आखिरकार विधायक व महापौर वापस लौटकर दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास से भेंट करने पहुंचे और उन्हें समझा- बुझाकर उनका गुस्सा शांत कराया। इसके बाद दिगम्बर अखाड़ा में प्रस्तावित बैठक भी स्थगित करा दी गई।
केन्द्रीय गृहमंत्री के आश्वासन पर दूर हुई नाराजगी
पुन: अपराह्न श्रीरामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत श्री दास एवं उनके उत्तराधिकारी को मनाने का दौर शुरू हुआ। इस दौरान विहिप के शीर्षस्थ नेतृत्व के माध्यम से केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से सम्पर्क साधा गया और कई संत-महंतों से अलग-अलग कई चक्र की वार्ता के बाद विवाद शांत हुआ। इसके बाद पुन: अयोध्या विधायक व महापौर रामवल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास को लेकर मणिराम छावनी पहुंचे और केन्द्रीय गृहमंत्री शाह से न्यास अध्यक्ष के उत्तराधिकारी की वार्ता कराई गई।
विधायक गुप्त ने बताया सभी संत रामजन्मभूमि पर भव्य व दिव्य मंदिर का निर्माण चाहते हैं और अब कोई नाराजगी नहीं है। न्यास अध्यक्ष जल्द ही ट्रस्ट में शामिल होंगे क्योंकि तीन स्थान रिक्त रखे गये हैं। वहीं महंत कमल नयन दास ने भी कहा कि संतों के सम्मान में सब आन्दोलित थे लेकिन अब सब ठीक हो गया है।