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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है खुशी की बात है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्रों में जाकर कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में परस्पर सहयोग की बात कर आए पर अच्छा होता उनकी नजर प्रदेश में विकास की तमाम संभावनाओं पर भी पड़ जाती। उन्हें शायद दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। प्रदेश में उनकी सरकार का अब ढाई साल से भी कम समय रह गया है। इसमें जनहित की एक योजना भी वे कार्यान्वित नहीं कर सके हैं।

अखिलेश ने एक बयान कहा कि समाजवादी पार्टी ने जो योजनाएं लागू की थीं उन्हें ही वे पूरा कर लेते तो प्रदेश की विकास यात्रा में उनका भी थोड़ा बहुत योगदान जुड़ जाता। समाजवादी सरकार ने आगरा, लखनऊ एक्सप्रेस-वे के किनारे सब्जी, दूध, अनाज, आलू की मंडिया स्थापित करने की योजना बनाई थी। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित और लाभप्रद मूल्य हासिल होता। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए स्वामी रामदेव को नोएडा क्षेत्र में गाय के दूध का प्लांट लगाने को 500 एकड़ जमीन दी गई थी। लखनऊ में अमूल का प्लांट स्थापित हुआ।

कन्नौज में काउमिल्क प्लांट की स्थापना किए जाने की जरूरत है। इस दिशा में समाजवादी सरकार आगे बढ़ रही थी।

रूस के सहयोग से आलू से अन्य उत्पाद बनाने का प्लांट लगाने की बात होती तो अच्छा होता। यात्रा सार्थक होती यदि मुख्यमंत्री जी मंडियों को विकसित करने में रूस का सहयोग लेते। रूस की किसी कम्पनी को यह काम देने से एक्सप्रेस-वे के पास के स्थलों का विकास और सौंदर्यीकरण दोनों हो जाता। यहां तो उल्टा काम यह हुआ है कि एक्सप्रेस-वे टोल टैक्स का काम महाराष्ट्र के लोगों को दे दिया गया है। उनकी रूचि टोल टैक्स वसूली में ज्यादा है, यात्रा की सुरक्षा एवं सुविधा विस्तार में नही है।

मुख्यमंत्री जी ने सोवियत रूस में नदी के किनारे कहीं भ्रमण किया होगा तो वहां से कुछ सीख लेकर गोमती नदी की सफाई और उसके तटों के सौंदर्यीकरण का काम बेहतर हो सकता है।

इसमें दो राय नहीं कि उत्तर प्रदेश संसाधनों के मामले में बहुत आगे है। यहां की धरती उर्वरा है और श्रमशक्ति भी पर्याप्त मात्रा में है। प्राकृतिक वातावरण और ऋतुचक्र में भी उत्तर प्रदेश बहुत सम्पन्न है। भारत-सोवियत के बीच सहयोग से विकास के नई संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं। किन्तु भाजपा की तो विकास में रूचि ही नहीं है। इसीलिए उसके कार्यकाल में विकास का एक नया पत्थर भी नहीं रखा जा सका। जनता को अब भाजपा से हित साधन की कोई आशा करे तो कैसे?

मुख्यमंत्री जी याद रखे कि समय किसी का इंतजार नहीं करता है। एमओयू तो बहुत हो जाते हैं उनकोे जमीनी स्तर पर उतारा जाना ज्यादा महत्व रखता है। रूस से तुलना की संभावना से काम नहीं चल सकता। व्यवहारिक दृृष्टि से ठोस परिणाम कैसे आएगा, इसकी रूपरेखा घोषित किए बगैर बातें है बातों का क्या?

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