वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा है कि परिसर में छात्राओं पर लाठीचार्ज नहीं हुआ है। कार्रवाई उन पर की गई जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे। पेट्रोल बम फेंक रहे थे, पत्थरबाजी कर रहे थे। किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसका एक भी प्रमाण नहीं है।
वीसी ने कहा कि 23 सितम्बर की रात को लगभग 8:30 बजे जब मैं अपनी छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था उस समय अराजकतत्वों ने मुझे रोक कर आगजनी एवं पत्थरबाजी शुरु किया। कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की।
छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं। उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बना कर जबरन बिठाए रखा था। पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैंपस से बाहर करने के लिये ही बल प्रयोग किया।
उकसाकर धरने पर बैठाया, कुलपति से न मिलने की दी धमकी
बीएचयू में छेड़खानी की पीड़ित छात्रा ने कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी से मुलाकात कर बताया कि उसे लोगों ने उकसाकर धरने पर बैठाया।
छात्रा ने कहा कि जब उसे यह समझ में आया कि इस मामले के जरिए बीएचयू और छात्रों को अराजक तत्वों ने हाईजैक कर लिया है, धरने का विरोध किया। छात्रा ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ बाहरी तत्वों ने धमकाया कि यदि कुलपति से मिली तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।
बीएचयू प्रशासन ने यह दावा किया है कि छेड़खानी की घटना के दूसरे दिन 22 सितम्बर को पीड़िता ने साथी छात्राओं के साथ कुलपति से मुलाकात कर धरने का बॉयकाट कर दिया। कुलपति से मिलने के बाद छात्रा धरने पर नहीं लौटी। छात्रा के कहने पर ही कुलपति त्रिवेणी संकुल में अन्य छात्राओं से मिलने पहुंचे, जहां विरोधी गुट ने सड़क पर ही बात करने का दबाव बनाया। कुलपति ने कहा कि बात सड़क पर नहीं छात्रवास के भीतर होगी। इसके बाद उपद्रवियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। जिसके कारण कुलपति को लौटना पड़ा। धरने के दौरान छात्राओं के तीन प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। इसमें त्रिवेणी संकुल की छात्राओं के साथ महिला महाविद्यालय की 25 छात्राएं शामिल थीं। इस बात की भनक जब मुख्यद्वार पर उपद्रवियों को लगी तो, कुलपति आवास पर धावा बोल दिया। कुलपति व छात्राओं के बीच चल रही वार्ता बंद कराई और यह संदेश दिया कि कुलपति ने मिलने से इनकार कर दिया है, जिससे आन्दोलन अनियंत्रित हो गया।
बीएचयू में बवाल की न्यायिक जांच होगी
बीएचयू प्रशासन ने परिसर में 22 और 23 सितंबर की घटना की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीके दीक्षित की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है। विश्वविद्यालय में 65 और संवेदनशील स्थलों को चिन्हित किया गया है, जहां सीसीटीवी कैमरे स्थापित होंगे। प्रथम चरण में विश्वविद्यालय के द्वार और महिला छात्रावास पर इन्हें लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
सुरक्षा तंत्र में महिला सुरक्षार्किमयों को भी शामिल किया जा रहा है। अर्न व्हाइल लर्न की योजना के अंतर्गत शारीरिक शिक्षा विभाग एवं स्पोर्ट्स बोर्ड की सीनियर छात्राओं को महिला छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्था में लगाया जा रहा है। महिला छात्रावासों में महिला सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाने का निर्देश दिया गया है।
महिला छात्रावासों के आसपास के मार्गों पर वाहनों के प्रतिबंधात्मक प्रवेश की व्यवस्था होगी। खराब स्ट्रीट लाइट को ठीक करा कर अतिरिक्त स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। सुव्यवस्थित सुरक्षा योजना बनाई जा रही है, जिसमें सुझाव के लिए वरिष्ठ छात्राओं को शामिल किया जाएगा। महिला छात्रावासों के स्तर पर छात्राओं के प्रतिनिधि को भी शामिल किए जाने का निर्णय किया गया है।
हिरासत में ली गईं तीस्ता सीतलवाड़
बीएचयू में छात्र-छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के बाद पुलिस की नजरें बनारस आने-वालों पर सख्त हैं। सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को बनारस पहुंचने पर गिलट बाजार में पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इसके बाद उन्हें पुलिस लाइंस में ले जाया गया। हालांकि तीस्ता सीतलवाड़ का कहना था कि वे राजघाट पर एक कार्यक्रम में शामिल होंने बनारस आई हैं लेकिन पुलिस ने उन्हें शाम तक हिरासत में रखा। इसके बाद देर शाम उन्हें रिहा कर दिया गया। प्रशासन के कहने पर वे जौनपुर चली गईं।