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लखनऊ/वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय मे छेड़खानी के विरोध को लेकर पैदा तनाव के चौथे दिन आज (सोमवार) करीब 1000 छात्र - छात्राओं पर केस दर्ज कर दिया गया है। वहीं घटना को लेकर राज्य सरकार ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की है। लंका इलाके के एसओ को लाइन हाजिर कर दिया गया है। एसएसपी ने भेलूपुर के सीओ निवेश कटियार को भी उनके पद से हटा दिया है।

उधर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी लाठीचार्ज की घटना को लेकर रिपोर्ट मांगी है। इस बीच बीएचयू में छुट्टी की घोषणा कर दी गयी है। फिलहाल बीएचयू परिसर में आवागमन बहाल हो चुका है, लेकिन अंदर पीएसी के हजारों जवान तैनात हैं। इस वक़्त परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

सुरक्षा पुख्ता करने की मांग कर रही छात्रों पर लाठीचार्ज को लेकर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है घटना के तीन दिन बाद वीसी जीसी त्रिपाठी ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि कुछ बाहर के लोग बीएचयू का माहौल खराब कर रहे हैं। वहीं छात्राओं का कहना है कि हमारी एक छोटी सी मांग थी कि हमें सुरक्षा दी जाये, फिर शांतिपूर्वक की जा रही इस धरना - प्दर्शन में लड़कियों पर लाठी चार्ज क्यों की गयी ?

गौरतलब है कि छात्रा इस बात पर अड़े थे कि वीसी धरनास्थल पर आकर छात्राओं के साथ बात करें. इस बीच पुलिस ने लाठी चार्ज कर किया। उसके बाद कैंपस का पूरा माहौल बिगड़ गया। तब छात्राओं के इस आंदोलन में छात्र भी कूद पड़े। पुलिस और छात्रों के बीच तनातनी का माहौल रहा और देखते ही देखते कैंपस रणक्षेत्र में बदल गया।

बताया जा रहा है कि छात्रों ने पीएसी के जवान पर पथराव किया और पेट्रोल बम भी बरसाये। भड़की हिंसा में कई लोगों के घायल होने की खबर है। परिसर में अब भी लाठी चार्ज की घटना को लेकर छात्रों के बीच आक्रोश का माहौल है। बीएचयू के छात्रों ने बताया कि छात्राओं की मांग को गंभीरता से नहीं लेना पहली गलती थी। वीसी की अड़यिल रवैये से मामूली सी घटना ने हिंसात्मक रूप ले लिया।

शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे छात्राओं पर लाठीचार्ज के फैसले ने बीएचयू परिसर को जंग के मैदान में बदल दिया। छात्राओं की माने तों सिंह द्वार के समीप मात्र 100- 200 छात्राएं धरने पर बैठी थीं। 52 घंटे से लगातार चल रहे प्रदर्शन करने वाली छात्राओं की संख्या वक्त के साथ कम होते जा रही थी, लेकिन लाठीचार्ज के फैसले ने माहौल पूरी तरह बिगाड़ दिया। उस पर भी वीसी की खामोशी से हालात सुधरने की बजाय बिगड़ता गया।

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