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नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में सोमवार को गंगा और यमुना नदी को वैधानिक व्यक्ति का दर्जा दिया। यानी इन दोनों नदियों को क्षति पहुंचाना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने जैसा माना जाएगा। ऐसे में आईपीसी के तहत मुकदमा चलेगा और व्यक्ति को जेल भी संभव है। जस्टिस राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने यूपी और उत्तराखंड की परिसंपत्तियों के बंटवारे से संबंधित जनहित याचिका पर निर्देश जारी किए। यह याचिका देहरादून निवासी मोहम्मद सलीम ने दायर की थी। गंगा-यमुना को दिए गए अधिकार का उपयोग तीन सदस्यीय समिति करेगी। यानी यह समिति इन नदियों को क्षति पहुंचाए जाने से संबंधित सभी मुकदमों की पैरवी करेगी। इसमें उत्तराखंड के मुख्य सचिव, नैनीताल हाईकोर्ट के महाधिवक्ता और नमामी गंगे प्राधिकरण के महानिदेशक शामिल किए गए हैं। मोहम्मद सलीम की ओर से वरिष्ठ वकील एमसी पंत ने गंगा-यमुना की खराब दशा बताते हुए न्यूजीलैंड में नदी को जीवित प्राणी का दर्जा देने का भी हवाला दिया। उनकी दलील पर कोर्ट ने गंगा-यमुना को भी जीवित प्राणी का दर्जा देने के निर्देश दिए। पंत ने बताया कि कोर्ट के पास किसी को भी वैधानिक व्यक्ति का दर्जा देने का अधिकार है। इसी आधार पर गंगा-यमुना को यह दर्जा दिया गया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि अभी तक गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए वाटर प्रोटेक्शन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट के तहत कार्रवाई होती थी। इसके अलावा अब गंगा-यमुना पर भी मुकदमा दर्ज किया जा सकेगा।

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