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नई दिल्ली: कर्नाटक के करवार में विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य में आग बुझाने के अभियान के दौरान एक अधिकारी शहीद हो गया। हालांकि इसके चालक दल ने आग पर काबू पा लिया और युद्धपोत की युद्धक क्षमता को कोई गंभीर क्षति होने से बचा लिया। नौसेना ने घटना की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया है। नौसेना ने एक बयान में कहा, "लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान ने बहादुरी से प्रभावित डिब्बे में आग बुझाने के प्रयासों का नेतृत्व किया।"

नौसेना ने कहा कि आग को नियंत्रित कर लिया गया, लेकिन अधिकारी अग्निशमन के प्रयासों के दौरान धुएं के कारण बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत करवार के नौसेना अस्पताल में भेज दिया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। बता दें कि इससे पहले साल 2016 में भी आईएनएस विक्रमादित्य हादसे का शिकार हो चुका है। तब जहरीली गैस लीक होने से नौसेना के दो कर्मियों की मौत हो गई थी।

आईएनएस विक्रमादित्य की खासियत

रूस के युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव को ही नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य नाम दिया गया है। विक्रमादित्य एक तरह से तैरता हुआ शहर है। यह लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसकी हवाई पट्टी 284 मीटर लंबी और अधिकतम 60 मीटर चौड़ी है। इसका आकार तीन फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। 15 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने विक्रमादित्य पर 30 लड़ाकू विमान, टोही हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। विक्रमादित्य पर कुल 22 डेक हैं। एक बार में 1600 से ज्यादा जवान इस पर तैनात किए जा सकते हैं। इस पर लगे जेनरेटर से 18 मेगावाट बिजली मिलती है। इसमें समुद्री पानी को साफ कर पीने लायक बनाने वाला ऑस्मोसिस प्लांट भी लगा है।

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