ताज़ा खबरें
एमएसपी की कानूनी गारंटी ​तक किसान आंदोलन जारी रहेगा: डल्लेवाल
महंगाई: घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़कर 853 रुपये हुई
'जब तक मैं जिंदा हूं, किसी योग्य शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी': ममता
राहुल गांधी बेगुसराय में 'पलायन रोको नौकरी दो' यात्रा में हुए शामिल
यूपी: पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के दस ठिकानों पर ईडी के छापे
सेंसेक्स 3000 अंक गिरा, निफ्टी भी 1000 अंक लुढ़का, 19 करोड़ स्वाहा

नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पीपी पांडे के इस्तीफे के अनुरोध को तत्काल स्वीकार कर लिया जाएगा। चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह से गुजरात सरकार ने कहा कि उन्हें 30 अप्रैल तक के लिए दिए गए सेवा विस्तार की अधिसूचना के मुद्दे का भी समाधान निकाल लिया जाएगा। गुजरात सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि या तो वह एक बयान जारी करें कि पांडे तुरंत पद से हट रहे हैं, नहीं तो पीठ आदेश पारित करेगी। इसके बाद मेहता ने कहा कि राज्य सरकार पांडे के इस्तीफे के अनुरोध को स्वीकार कर लेगी। पांडे इशरत जहां तथा तीन अन्य की हत्या के मामले के आरोपियों में हैं। मेहता ने शुरुआत में पीठ से कहा कि पांडे को 30 अप्रैल तक का कार्यकाल पूरा करने दिया जाए और आदरपूर्वक सेवानिवृत्त होने दिया जाए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह (पांडे) मामले को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि आरोप अभी तय नहीं किया गया है। गौरतलब है कि पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक के रूप में पांडेय की नियुक्ति तथा विस्तार को एक जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता पूर्व पुलिस आयुक्त जूलियो फ्रांसिस रिबेरो की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि पांडेय को हत्या मामले में आरोपी होने के बावजूद जमानत दी गई, बहाल किया गया, पदोन्नत किया गया और पुरस्कृत किया गया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने पांडेय को तीन महीने का सेवा विस्तार दे दिया था जिन्हें 31 जनवरी को रिटायर होना था। अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के समय पांडेय गुजरात की अपराध शाखा के प्रमुख थे। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि इन लोगों के आतंकवादियों से संबंध थे और वे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रच रहे थे। हाईकोर्ट द्वारा गठित एक एसआईटी ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। जमानत पर रिहा होने के बाद पांडेय को फरवरी 2015 में वापस सेवा में ले लिया गया था और राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का निदेशक नियुक्त किया गया था। पिछले साल 16 अप्रैल को पांडेय को गुजरात का प्रभारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख