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कोलकाताः दिल्ली में शनिवार को नीति आयोग की होने वाली बैठक में पश्चिम बंगाल का कोई प्रतिनिधि नहीं होगा, क्योंकि राज्य द्वारा वित्त मंत्री और मुख्य सचिव को भेजने के तृणमूल कांग्रेस नीत सरकार के अनुरोध को केंद्र ने ठुकरा दिया। केंद्र ने 'जोर' दिया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकती हैं।

सीएम ममता ने पहले ही कर दिया था इंकार

बनर्जी पहले ही नीति आयोग की आठवीं संचालन परिषद की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला कर चुकी हैं। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने मीडिया से कहा, "हमने केंद्र से अनुरोध किया था कि मुझे और मुख्य सचिव को बैठक में शामिल होने की अनुमति दी जाए क्योंकि ममता बनर्जी किसी अन्य काम में व्यस्त हैं। बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री के अलावा किसी और को अनुमति नहीं देने का यह एक परोक्ष तरीका है। इसलिए, कल की बैठक में पश्चिम बंगाल का कोई प्रतिनिधि नहीं होगा।"

उन्होंने कहा, "अगर राज्य की मुख्यमंत्री किसी और काम में व्यस्त हैं, तो क्या वह अपनी ओर से किसी मंत्री या अधिकारी को नहीं भेज सकती? आखिरकार, मैं राज्य की वित्त मंत्री हूं और राज्य का प्रतिनिधित्व कर सकती हूं। मुझे नीति आयोग की बैठक में वित्त मंत्री को शामिल नहीं होने देने का तर्क समझ नहीं आ रहा है।"

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीति आयोग की संचालन परिषद की आठवीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। नीति आयोग की संचालन परिषद में कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा सभी राज्यों और विधानसभाओं वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल हैं।

भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि यह पश्चिम बंगाल की बकाया धनराशि जारी करने की मांगों को नहीं सुनने के लिए केंद्र की "चाल" है। उन्होंने कहा, "केंद्र का आरोप है कि हम राज्य के खर्च का ब्योरा उनके साथ साझा नहीं करते हैं। अब जब हम नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए तैयार हैं, तो वे हमें अनुमति नहीं दे रहे हैं। हम अपने साथ राज्य के खर्च का ब्योरा लेकर जाते।"

उन्होंने कहा, "साथ ही, मुझे लगता है कि यह पश्चिम बंगाल को बकाया चुकाने की अपनी मांगों को रखने से रोकने का एक तरीका है। हमारी मुख्यमंत्री लंबे समय से इस मुद्दे पर काफी मुखर रही हैं।"

तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा 28 मई को प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले के एक दिन बाद बनर्जी ने बैठक से दूर रहने का फैसला किया है। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में नीति आयोग की बैठक में भाग लेने में रुचि व्यक्त की थी और कहा था कि वह केंद्र द्वारा कथित रूप से वंचित किए जा रहे राज्य के मुद्दों को उजागर करेंगी।

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने केंद्र द्वारा कथित भेदभाव के विरोध में मार्च में कोलकाता में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन किया था। दिलचस्प है कि बनर्जी 2019 में यह कहते हुए नीति आयोग की बैठक से दूर रही थीं कि थिंक.टैंक के पास कोई शक्ति नहीं है और इसकी बैठकें ‘‘निरर्थक‘‘ हैं।

 

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