कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट जमा कराते समय राजनीतिक दलों को आयकर संबंधी छूट देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि घोषणा का समय दिखाता है कि इसके पीछे कोई ‘छिपा हुआ मकसद’ हो सकता है। इससे पहले शुक्रवार को राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने कहा था कि अपने खाते में 500 और 1,000 रुपए के चलन से बाहर हो गए पुराने नोट जमा कराने वाले राजनीतिक दलों को आयकर से छूट मिलेगी लेकिन इसके लिए हर व्यक्ति से मिला दान 20,000 रुपए से कम होना चाहिए और उनके सही दस्तावेज होने चाहिए। ममता ने ट्विटर पर लिखा, ‘उन्हें यह साफ करने की जरूरत है कि नोटबंदी का मतलब सबके लिए नोटबंदी है। सबके लिए समान नियम। अगर 500 और 1,000 के पुराने नोट अमान्य हो गए हैं तो वे कैसे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि आम लोगों और राजनीतिक दलों में कोई अंतर है?’ उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि इन बयानों के समय से जाहिर होता है कि कोई छिपा हुआ मकसद हो सकता है। क्या ऐसा कोई मकसद है? क्या वे किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता को कोई छिपा हुआ संदेश देना चाह रहे हैं? ये भ्रामक एवं गुमराह करने वाले बयान अब क्यों ? उन्हें ये साफ करना चाहिए।’
केंद्र के नोटबंदी के फैसले की खुलकर आलोचना कर रहीं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कैसे सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से किस तरह भ्रामक एवं गुमराह करने वाले बयान आ रहे हैं।’