कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नोटबंदी के फैसले के विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को धमकाने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे पर बंगाल के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों में रैलियां करने का एलान किया है। वे कल दिल्ली जाएंगी। उन्होंने कहा कि मोदी को प्रधानमंत्री की तरह बर्ताव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर बार-बार बदलते फैसलों से साफ है कि सरकार भी दिग्भ्रमित है। ममता ने कहा कि इस फैसले के पीछे सरकार का कोई छिपा एजेंडा है। वे सोमवार को यहां पत्रकारों से बात कर रही थीं। इस फैसले के विरोध में ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बुधवार को महानगर में एक विरोध रैली निकालेगी। उसके अगले दिन पूरे राज्य में ऐसी रैलियां आयोजित की जाएंगी। ममता ने सवाल किया कि आखिर अचानक नोटबंदी की वजह क्या है और उसके बाद पैदा होने वाली समस्याओं से निपटने की योजना कहां है? आखिर प्रधानमंत्री का छिपा एजेंडा क्या है? उन्होंने कहा कि पांच सौ व हजार के नोट बंद करना समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। भारत महज प्लास्टिक अर्थव्यवस्था और डेबिट व क्रेडिट कार्ड के सहारे नहीं चल सकता। ममता ने कहा कि देश में महज 4.4 फीसदी आबादी प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल करती है। बाकी देश नकदी से ही चलता है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से बाजार में मौजूद 16 लाख करोड़ में से 14 लाख करोड़ रुपये बेकार हो गए हैं।
इससे काला धन और काला हुआ है और मनी लांड्रिंग को बढ़ावा मिला है। लेकिन आम लोगों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। उनका सफेद धन भी छीन लिया गया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने बताया कि नोटबंदी के खिलाफ अलख जगाने के लिए वे 23 व 24 नवंबर को दिल्ली में रहेंगी और उसके बाद 29 नवंबर को लखनऊ में रैली करेंगी। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर आंदोलन के लिए उनको किसी भी राजनीतिक दल के साथ हाथ मिलाने में कोई एतराज नहीं है। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है। वे आम लोगों के हित में नोटबंदी का विरोध कर रही हैं। ममता ने कहा कि सरकार नोटबंदी के बाद लगभग रोजाना नियमों में बदलाव कर रही है। इसकी बजाय उसे पहले से ही समस्या से निपटने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए थी। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो नोटबंदी का समर्थन किया है? इस सवाल पर उनका कहना था कि नीतीश की कुछ राजनीतिक मजबूरियां होंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र को तमाम दलों को साथ लेकर इस समस्या का समाधान तलाशना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। इसमें किसी फैसले को सबका समर्थन मिलना जरूरी नहीं है। लेकिन केंद्र को किसी राजनीतिक पार्टी का विरोध बर्दाश्त नहीं है। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की तरह बर्ताव करते हुए इस मुद्दे पर उठे सवालों के जवाब देने चाहिए। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल आगरा की रैली में तृणमूल कांग्रेस नेताओं पर शारदा घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब घोटाले में डूबे लोग भी नोटबंदी पर सवाल उठा रहे हैं।