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नई दिल्ली: बिहार में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए)ने बिहार में बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल हासिल कर लिया है। सत्तारूढ़ गठबंधन को 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में 125 सीटों पर जीत हासिल हुई है, जबकि विपक्षी महागठबंधन ने 110 सीटें जीती हैं। इसके साथ की नीतीश कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है।

इस बार नीतीश की पार्टी जदयू को 2015 जैसी सफलता नहीं मिली है। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं। उस समय कुमार ने लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीता था। 75 सीटों के साथ राजद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। मतगणना के शुरुआती घंटों में बढ़त बनाती नजर आ रही भाजपा को 16 घंटे चली मतों की गणना के बाद 74 सीटों के साथ दूसरा स्थान मिला है।

 

जदयू को चिराग पासवान की लोजपा के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है। लोजपा को एक सीट पर जीत मिली, लेकिन उसने कम से कम 30 सीटों पर जदयू को नुकसान पहुंचाया है।

भाजपा की 74 और जदयू की 43 सीटों के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटें मिली हैं।

विपक्षी महागठबंधन में राजद को 75, कांग्रेस को 19, भाकपा माले को 12 और भाकपा एवं माकपा को दो-दो सीटों पर जीत मिली हैं।

इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें और लोजपा एवं बसपा ने एक-एक सीट जीती हैं। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहा है।

पप्पू यादव और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है। राज्य की मुख्यमंत्री पद का दावा करने वाली पुष्पम प्रिया भी चुनाव हार गई हैं।

नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके साथ ही वो इतिहास रचने जा रहे हैं। पहली बार साल 2000 में उन्होंने सीएम पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत न होने पर इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद उन्होंने 2005, 2010, 2015 (फरवरी), 2015 (नवंबर) और 2017 में सीएम पद की शपथ ली है।

नालंदा जिले की हिलसा विधान सभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प रहा। वहां सत्तारूढ़ जेडीयू के उम्मीदवार कृष्णमुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया ने राजद उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक शक्ति सिंह यादव को मात्र 12 वोटों से हराया।

नीतीश सरकार के पांच मंत्रियों को भी इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है। ऐसे मंत्रियों में सहकारिता मंत्री जयकुमार सिंह, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, परिवहन मंत्री संतोष निराला और रामसेवक सिंह शामिल हैं।

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