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नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान खत्म होने के बाद एग्जिट पोल आ चुका है। पोल ऑफ पोल्स के अनुसार, बिहार में कांटे की टक्कर में तेजस्वी यादव की अगुवाई वाला राजद का महागठबंधन भाजपा-जदयू के मुकाबले आगे रह सकता है। अलग-अलग न्यूज चैनलों की तरफ से जारी किए गए एग्जिट पोल्स को मिलाकर एनडीटीवी ने 'पोल ऑफ एग्जिट पोल्स' जारी किया। एनडीटीवी ने बिहार चुनाव के लिए आए चार एक्जिट पोल्स सीएनएन न्यूज 18 - टुडेज चाणक्य, दैनिक भास्कर, रिपब्लिक टीवी-जन की बात और टाइम्स नाओ-सी वोटर का औसत निकालकर पोल ऑफ एक्जिट पोल जारी किया है। पोल ऑफ एक्जिट पोल में महागठबंधन को सर्वाधिक 126 सीटें मिल रही हैं। वहीं, एनडीए को 100, एलजेपी को 6 और अन्य को 11 सीटें मिल सकती हैं। पोल ऑफ एक्जिट पोल्स के स्रोत स्थानीय और राष्ट्रीय चैनल के हैं।

टाइम्स नाउ-सी वोटर के सर्वे के अनुसार भाजपा-जदयू गठबंधन को 116 सीटें मिलने और महागठबंधन को 120 सीटें मिलने के आसार दिख रहे हैं। अन्य को सात सीटें मिल सकती हैं। रिपब्लिक और जन की बात के पोल में महागठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है।

इसमें भाजपा के गठबंधन को 91 से 117 सीटें और महागठबंधन को 118-138 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। अन्य को 7-14 सीटें मिल सकती हैं।

बिहार में सीएम के रूप में तेजस्वी सबसे आगे  

एग्जिट पोल में 44 फीसदी लोगों ने तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री माना है। वहीं, 35 फीसदी लोगों ने नीतीश कुमार को, 3 फीसदी ने सुशील कुमार मोदी को अगला सीएम माना है। 7 फीसदी लोगों ने एलजेपी के प्रमुख चिराग पासवान को अगला मुख्यमंत्री माना है। 

तीसरे चरण में करीब 55 फीसदी मतदान

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के अंतिम चरण में 15 जिलों के 78 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ। इस चरण में करीब 2.34 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 55.22 फीसदी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। पिछली बार तीसरे चरण में 56.66 फीसदी वोट हुआ था। मतदान खत्म होते ही 1204 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम (ईवीएम)  में कैद हो गया। तीसरे चरण में बिहार विधानसभा अध्यक्ष और राज्य के 12 मंत्री भी चुनाव मैदान में थे। 

पहले दो चरणों में भी 50 फीसदी से ज्यादा मतदान

दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर 53.51 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस चरण में राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तेजस्वी यादव, उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव के अलावा एनडीए सरकार के चार मंत्री भी उम्मीदवार थे। इससे पहले 28 अक्टूबर को हुए प्रथम चरण के मतदान में राज्य की 71 विधानसभा सीटों पर 55.69 फीसदी लोगों ने मतदान किया। 10 नवंबर को मतगणना होगी।

बेरोजगारी और विकास के मुद्दे पर लड़ा गया चुनाव

बिहार में इस बार सत्तारूढ़ एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच मुकाबला था। एनडीए में इस बार जीतन राम मांझी की पार्टी हम और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी भी थी। जबकि महागठबंधन में कांग्रेस के अलावा वामपंथी दल शामिल थे। महागठबंधन ने बिहार में बेरोजगारी, सरकारी भर्ती पर रोक, आंगनवाड़ी और अन्य कार्यकर्ताओं के कम मानदेय, प्रवासी मजदूरों की स्थिति जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।

प्रधानमंत्री ने नीतीश के लिए खुलकर समर्थन मांगा

एनडीए ने 15 साल में किए गए विकास कार्यों, शिक्षा-स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाओं, बिजली-पानी, सड़क की बेहतर स्थिति बताकर जनता से वोट मांगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं 12 रैलियां कर जंगलराज को लेकर मतदाताओं को आगाह किया औऱ डबल इंजन की सरकार को फिर चुनने की अपील की। उन्होंने सोशल मीडिया पर चार पेज का पत्र जारी कर कहा था कि बिहार के विकास के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत है।

दस लाख नौकरी बनाम मुफ्त वैक्सीन 

चुनाव प्रचार के दौरान राजद का दस लाख सरकारी नौकरी देने का वादा छाया रहा। युवाओं से जुड़े ऐसे मुद्दों को लेकर तेजस्वी की रैली में भारी भीड़ भी देखी गई। वहीं भाजपा अपने संकल्प पत्र में 19 लाख रोजगार देने और कोरोना की मुफ्त वैक्सीन देने का वादा कर सुर्खियों में आ गई। ये दोनों मुद्दे खूब उछले।

युवा तेजस्वी और चिराग के निशाने पर रहे नीतीश कुमार

बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और लोजपा नेता चिराग पासवान के सीधे निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे। लोजपा ने चुनाव के ठीक पहले एनडीए से अलग होकर नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला, जबकि भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाया। वहीं तेजस्वी ने भी इसे युवा बनाम बुजुर्ग की लड़ाई बनाने की पुरजोर कोशिश की। तीसरे चरण की आखिरी रैली में नीतीश कुमार के अंतिम चुनाव वाला बयान देकर भावनात्मक कार्ड खेला, लेकिन तेजस्वी और चिराग ने इसे भी हथियार बनाया। तेजस्वी ने चुनाव के दौरान ताबड़तोड़ 247 रैलियां और चार रोड शो किए।

 

 

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