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मुंबई: शिवसेना के बागी नेता एकनात शिंदे के बतौर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र की गद्दी संभालने के बाद शुक्रवार को पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे पहली बार सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर लाइव आकर अपनी बातें रखीं। सत्ता पलट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा को ये पहले ही कर लेना चाहिए था। कम से कम उसे अपना मुख्यमंत्री तो मिल जाता। उन्होंने कहा कि क्या अमित शाह ने मुझसे किया हुआ अपना वादा रखा? अगर ऐसा होता तो राज्य का मुख्यमंत्री आज कोई भाजपा नेता होता। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को केवल नाम के लिए मुख्यमंत्री बताया है।

शिवसेना के ही बागी नेता एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे का बयान सामने आया है। उन्होंने शुक्रवार को शिवसेना भवन पहुंचकर मराठी कार्ड खेला और पार्टी पर दावा ठोका। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे शिवेसना के मुख्यमंत्री नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रदेश में सत्ता का खेल खेला गया है, उससे लोकतंत्र का मजाक बना है। उन्होंने कहा कि मैं तो कहूंगा कि मतदाताओं को अधिकार होना चाहिए कि वह जरूरत पड़ने पर उन लोगों को वापस बुला सके, जिन्हें वोट दिया है।

उन्होंने कहा कि भले ही सत्ता के लिए कुछ लोगों ने बड़ा खेल कर दिया, लेकिन मेरे दिल से वे लोग महाराष्ट्र को नहीं निकाल सकते। यहां तो लोकतंत्र का मजाक उड़ाया जा रहा है। सत्ता में आते ही इन लोगों ने आरे के फैसले को पलट दिया। उन्होंने कहा कि मुंबई के पर्यावरण से छेड़छाड़ न की जाए। मैं इन लोगों से अपील करता हूं कि महाराष्ट्र को बर्बाद न करें। मुझे सीएम की कुर्सी जाने का दुख नहीं है, लेकिन मेरी पीठ में खंजर भोंका गया है। यदि भाजपा हमारे साथ आती तो कम से कम ढाई साल तक तो उनका मुख्यमंत्री रहता, लेकिन अब उन्हें क्या मिल गया है। उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह ने मुझसे किया अपना वादा पूरा किया होता तो अब महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री होता।

इस तरह उद्धव ठाकरे ने इशारों में ही देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम बनने पर तंज कस दिया। दरअसल 2019 में भाजपा और शिवसेना के बीच इसी बात पर मतभेद हो गए थे। तब शिवसेना का कहना था कि भाजपा ने उनसे ढाई-ढाई साल के सीएम का वादा किया था, जिस पर उसे अमल करना चाहिए। वहीं देवेंद्र फडणवीस और अमित शाह ने ऐसे किसी भी वादे से इंकार किया था। अब इसी को लेकर शायद उद्धव ठाकरे ने तंज कसा है कि एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने से भाजपा को क्या मिल गया।

रातोंरात नहीं हुआ खेल, लंबे वक्त से थी प्लानिंग

यही नहीं एक बार फिर से मराठी कार्ड खेलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मैं प्रदेश की जनता और शिवसैनिकों से कहना चाहूंगा कि उनसे कभी गद्दारी नहीं करूंगा। आप लोगों से जो प्यार मिला है, उसे भुला नहीं सकता। सत्ता तो आती और जाती रहती है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों से हमने बात की, लेकिन वे माने नहीं। साफ है कि यह घटना रातों रात की नहीं थी बल्कि लंबे वक्त से यह खेल चल रहा था।'

एकनाथ शिंदे ने कल ली शपथ

गौरतलब है कि कल शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। जबकि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। ऐसे में चर्चाओं का दौर शुरु हो गया कि आखिर सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा ने ऐसा क्यों किया? हालांकि, सूत्रों की मानें को निजी फायदे को देखते हुए पार्टी ने ये फैसला लिया है। पार्टी की मंशा है कि वो सत्ता के साथ-साथ ठाकरे परिवार से ब्रांड 'शिवसेना' भी छीन ले।

वहीं, एकनाथ शिंदे जिन्होंने बार-बार उद्धव ठाकरे द्वारा वैचारिक रूप से विपरीत दलों के साथ गठबंधन करके शिवसेना की हिंदुत्व विचारधारा को कमजोर करने की शिकायत की है, को फिलहाल शिवसेना के प्रमुख चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही वे एक मराठा विधायक हैं। ऐसे में उन्हें शीर्ष पद देना महाराष्ट्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में भाजपा के लिए एक बोनस है।

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